Satta Matka: अब सट्टा खेलना पड़ेगा भारी! इस राज्य में जुआ, सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग पर 7 साल की सजा, सरकार ने बनाया सख्त कानून

चंडीगढ़: हरियाणा में अब क्रिकेट मैच फिक्सिंग, जुआ और सट्टेबाजी पर सात साल की सख्त सज़ा का प्रावधान किया गया है. शनिवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री नईब सैनी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस अध्यादेश को पारित किया गया. कैबिनेट ने इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है और इसे चुनाव आयोग के पास भेजने का निर्णय लिया गया है.

सात लाख रुपये तक का जुर्माना भी

अध्यादेश के अनुसार, हरियाणा में किसी भी मैच पर जुआ या सट्टेबाजी करना एक संज्ञेय अपराध होगा. यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के सट्टेबाजी या मैच फिक्सिंग में शामिल पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. ऐसे किसी भी असामाजिक गतिविधियों में संलिप्त व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर सात साल की सज़ा दी जाएगी. इसके साथ ही, उसे सात लाख रुपये तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है. ये भी पढ़ें- Kalyan Satta Matka Mumbai: सट्टा मटका और लॉटरी खेलने वालों के लिए चेतावनी! सावधान रहें वरना आपका होगा भारी नुकसान

अन्य अध्यादेशों को भी मिली मंजूरी

हरियाणा के राज्यपाल द्वारा स्वीकृत पांच अध्यादेशों में से एक महत्वपूर्ण अध्यादेश राज्य में अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों को सेवा में सुरक्षा प्रदान करने से संबंधित है. इसके अलावा, नगरपालिका निकायों (नगर निगम, नगर परिषद और नगर समितियों) और पंचायत राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग ब्लॉक बी को आरक्षण प्रदान करने वाला अध्यादेश भी पारित किया गया है. पांचवां अध्यादेश हरियाणा शमलात (साझा) भूमि विनियमन (संशोधन) से संबंधित है. राज्यपाल ने 14 अगस्त को इन अध्यादेशों को मंजूरी दी थी. ये भी पढ़ें-  Kalyan Satta Matka Mumbai: कल्याण सट्टा मटका क्या है? भारत में कैसे हुई इसकी शुरुआत

अनुबंध कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा से संबंधित अध्यादेश की अधिसूचना 14 अगस्त की शाम को ही राजपत्र में प्रकाशित की गई थी, जबकि शेष चार अध्यादेशों को 16 अगस्त को राज्य सरकार के राजपत्र में अधिसूचित किया गया है (आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले). मुख्यमंत्री नईब सिंह सैनी ने कहा कि हमने अपनी सरकार के कई निर्णय लागू किए हैं. अब राज्य में आचार संहिता लागू हो गई है, इसलिए अब हम कोई नया निर्णय नहीं ले सकते, लेकिन जो मुद्दे कैबिनेट में आए हैं, उन्हें निर्णय के लिए चुनाव आयोग के पास भेजा जा रहा है.