देश की खबरें | संप्रग सरकार ने सुनिश्चित किया था कि तहव्वुर राणा को जवाबदेह ठहराया जाए: कांग्रेस

नयी दिल्ली, 14 फरवरी कांग्रेस ने मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमले को लेकर वांछित तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ होने के बाद शुक्रवार को कहा कि उसके नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने यह सुनिश्चित किया था कि इस साजिशकर्ता को जवाबदेह ठहराया जाए।

पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने राणा के प्रत्यर्पण और उसको सजा दिलाने के लिए संप्रग सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का ‘एक्स’ पर विस्तार से उल्लेख किया है।

इससे पहले, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि उनके प्रशासन ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों में संलिप्तता के लिए भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा वांछित और ‘बहुत बुरे’ व्यक्ति तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है।

पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक राणा वर्तमान में लॉस एंजिलिस के एक मेट्रोपॉलिटन निरुद्ध केंद्र में बंद है। माना जाता है कि वह मुंबई के 26/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली से जुड़ा है।

खेड़ा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘25 जनवरी, 2025 को अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने हाल में तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के खिलाफ उसकी याचिका को खारिज कर भारत में उसके प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने अपने शासन के दौरान, 26/11 मुंबई हमलों के पीड़ितों के लिए न्याय की खातिर दृढ़ प्रतिबद्धता प्रदर्शित की।’’

उनके मुताबिक, संप्रग सरकार ने लगातार कानूनी, कूटनीतिक और जांच संबंधी प्रयासों के माध्यम से यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की कि तहव्वुर राणा जैसे साजिशकर्ताओं को जवाबदेह ठहराया जाए।

उन्होंने कहा, ‘‘दिसंबर 2008 के अंत और वर्ष 2009 की शुरुआत में भारतीय जांच एजेंसियों ने तहव्वुर राणा की पहचान पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली के सहयोगी के रूप में की, जिसने 26/11 के मुंबई हमलों की योजना बनाने में मदद की थी। 24 दिसंबर, 2011 को भारत की राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) ने 26/11 हमलों के सिलसिले में तहव्वुर राणा, डेविड कोलमैन हेडली और आठ अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।’’

खेड़ा का कहना है, ‘‘10 जून, 2011 को संप्रग सरकार ने औपचारिक रूप से अमेरिका से भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि (1997) के तहत डेविड हेडली और तहव्वुर राणा दोनों के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया। 10 जून, 2011 को गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने राणा को भारत प्रत्यर्पित किए जाने का औपचारिक रूप से अनुरोध किया। 15 दिसंबर 2012 को तत्कालीन विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को पत्र लिखकर डेविड हेडली और तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने 23 मई, 2011 को शिकागो अदालत में हेडली के बयानों का हवाला दिया, जहां उसने स्वीकार किया कि राणा को मुंबई हमले की साजिश के बारे में पता था और उसने साजिश का समर्थन किया था। वर्ष 2011-2012 के दौरान भारतीय एजेंसियों ने मामले से संबंधित साक्ष्यों, बयानों और अन्य सामग्रियों के आदान-प्रदान के लिए अमेरिकी एजेंसी एफबीआई सहित अमेरिकी अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया।’’

खेड़ा ने कहा कि वर्ष 2012 की शुरुआत में एनआईए ने एक व्यापक कानूनी विवरण तैयार किया जिसमें राणा की कथित भूमिका का विवरण दिया गया और बताया गया कि कैसे उसके कार्य भारत के आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत आते हैं, भले ही अमेरिकी कानून की अलग-अलग व्याख्याएं हों।

उनका कहना है, ‘‘वर्ष 2012-2013 में भारत सरकार ने अमेरिका के साथ राजनयिक चर्चा जारी रखी और 26/11 के पीड़ितों के लिए न्याय के मामले में प्रत्यर्पण की आवश्यकता पर जोर दिया।’’

हक

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