नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कथित धर्मांतरण से संबंधित एक आपराधिक मामले में शुक्रवार को एक व्यक्ति को जमानत दे दी. यह व्यक्ति उत्तर प्रदेश स्थित सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) के कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल के साथ कथित धर्मांतरण से संबंधित एक आपराधिक मामले में जांच का सामना कर रहा है. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मध्य प्रदेश के इंदौर निवासी आरोपी राम सेवक के लिए जमानत राशि तय करते हुए कहा कि यह 25,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जमानत की अन्य शर्तें निचली अदालत तय करेगी. पीठ ने कहा, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को पुलिस थान नवाबगंज, जिला गंगानगर (प्रयागराज आयुक्तालय), उत्तर प्रदेश में दर्ज मामले में निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा तय किये गये नियमों और शर्तों के अधीन जमानत पर रिहा किया जायेगा.’’
उच्चतम न्यायालय ने राजेंद्र बिहारी लाल को एक अप्रैल को अंतरिम जमानत दे दी थी. अदालत ने यह राहत लाल को कथित धर्मांतरण सहित दो आपराधिक मामलों में दी थी. अदालत ने राम सेवक की उसके खिलाफ मामला रद्द करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी किया.
लाल और राम सेवक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 307 (हत्या का प्रयास), 504 (शांति भंग करने के उद्देश्य से जानबूझकर अपमानित करना) और 386 (जबरन वसूली) के तहत मामला दर्ज किया गया है. उन पर उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 के कुछ प्रावधानों के तहत भी मामला दर्ज किया गया था.
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