Education Ministry On Higher Education Institutions: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का दावा, बताया- उच्च शिक्षा संस्थानों से 32,000 से अधिक छात्रों ने छोड़ दी पढ़ाई

आंकड़ों के अनुसार, पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले 32,186 छात्रों में से 52 प्रतिशत अनुसूचित जाति (4,423), अनुसूचित जनजाति (3,774) और ओबीसी (8,602) श्रेणियों से थे. सरकार ने कहा कि स्नातक पाठ्यक्रमों में पढ़ाई बीच में छोड़ने वालों की वजह गलत विकल्प भरे जाने, खराब प्रदर्शन और व्यक्तिगत एवं चिकित्सकीय कारण हैं.

एजेंसी न्यूज Bhasha|

Education Ministry On Higher Education Institutions: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का दावा, बताया- उच्च शिक्षा संस्थानों से 32,000 से अधिक छात्रों ने छोड़ दी पढ़ाई

आंकड़ों के अनुसार, पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले 32,186 छात्रों में से 52 प्रतिशत अनुसूचित जाति (4,423), अनुसूचित जनजाति (3,774) और ओबीसी (8,602) श्रेणियों से थे. सरकार ने कहा कि स्नातक पाठ्यक्रमों में पढ़ाई बीच में छोड़ने वालों की वजह गलत विकल्प भरे जाने, खराब प्रदर्शन और व्यक्तिगत एवं चिकित्सकीय कारण हैं.

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Education Ministry On Higher Education Institutions: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का दावा, बताया- उच्च शिक्षा संस्थानों से 32,000 से अधिक छात्रों ने छोड़ दी पढ़ाई
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नयी दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, 2019 से 2023 के बीच केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी और आईआईएम सहित उच्च शिक्षा संस्थानों के 32,000 से अधिक छात्रों ने पढ़ाई बीच में छोड़ दी है. पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले इन छात्रों में से 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों से थे. राज्यसभा में साझा किए गए आंकड़ों से पता चला है कि इनमें से अधिकांश छात्र स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों में थे.

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने संसद के उच्च सदन में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की अधिकतम संख्या केंद्रीय विश्वविद्यालयों (17,454), आईआईटी (8,139), एनआईटी (5,623), आईआईएसईआर (1,046), आईआईएम (858), भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (803) और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (112) में दर्ज की गई. 'Child Helpline': केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का दावा, कहा- पिछले पांच साल में चाइल्ड हेल्पलाइन पर 31 करोड़ से अधिक कॉल प्राप्त हुईं

आंकड़ों के अनुसार, पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले 32,186 छात्रों में से 52 प्रतिशत अनुसूचित जाति (4,423), अनुसूचित जनजाति (3,774) और ओबीसी (8,602) श्रेणियों से थे. सरकार ने कहा कि स्नातक पाठ्यक्रमों में पढ़ाई बीच में छोड़ने वालों की वजह गलत विकल्प भरे जाने, खराब प्रदर्शन और व्यक्तिगत एवं चिकित्सकीय कारण हैं.

उन्होंने कहा कि स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में नियुक्ति की पेशकश और कहीं और बेहतर अवसरों के लिए व्यक्तिगत प्राथमिकता छात्रों के बीच में पढ़ाई छोड़ने के प्रमुख कारण हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘उच्च शिक्षा संस्थानों ने स्कूल बीच में छोड़ने वालों की संख्या कम करने के लिए कई सुधारात्मक उपाय शुरू किए हैं, जिनमें छात्रों की शैक्षणिक प्रगति की निगरानी के लिए सलाहकारों की नियुक्ति, अकादमिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए अतिरिक्त कक्षाओं का प्रावधान, सहकर्मी-सहायता प्राप्त शिक्षा, तनाव मुक्त छात्रों के लिए परामर्श, मनोवैज्ञानिक प्रेरणा और पाठ्येतर गतिविधियां शामिल हैं.’’

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