
ईरान के सुप्रीम लीडर खमेनेई ने कहा है कि अगर अमेरिका, ट्रंप की कही बमबारी की बातों पर अमल करता है तो ईरान उसे कड़ा झटका देगा. ईरान ने परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका से सीधे बात करने से मना कर दिया है.ईरान ने परमाणु कार्यक्रम पर अपने सुप्रीम लीडर को लिखे अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के एक पत्र का जवाब दिया है और सीधी बातचीत के विकल्प को खारिज कर दिया है. हालांकि तेहरान के इस फैसले के बावजूद, वाशिंगटन के साथ अप्रत्यक्ष बातचीत की संभावना बनी हुई है.
परमाणु और यूरेनियम संवर्धन के मामले में 2018 के बाद से दोनों देशों के बीच बातचीत की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है. तब ट्रंप अपने पहले कार्यकाल में थे और उन्होंने ईरान के साथ 2015 में हुए परमाणु समझौते (जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन) से अमेरिका को बाहर कर लिया था.
ट्रंप ने पत्र क्यों लिखा?
ट्रंप ने 5 मार्च को ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खमेनेई को परमाणु कार्यक्रमों पर वार्ता के लिए एक पत्र भेजा था. अगले दिन एक टीवी इंटरव्यू में पत्र भेजने की बात स्वीकार भी की थी. उन्होंने कहा, "मैंने उन्हें एक पत्र लिखा है जिसमें कहा है, 'मुझे उम्मीद है कि आप बातचीत करेंगे क्योंकि अगर हमें सैन्य कार्रवाई करनी पड़ी तो यह बहुत भयानक होगा."
ट्रंप ने ईरान पर अपने 'अधिकतम दबाव' अभियान के तहत नए प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है. उन्होंने तेहरान को फैसला लेने के लिए दो महीने का समय दिया है. अमेरिकी प्रसारक एनबीसी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने ईरान को नई धमकियां दीं. उन्होंने कहा, "हम बमबारी करेंगे. ऐसी बमबारी होगी जैसी उन्होंने पहले कभी नहीं देखी होगी." ट्रंप ने दावा किया कि इस मुद्दे पर अमेरिका और ईरान के प्रतिनिधि "बातचीत कर रहे हैं."
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ट्रंप की धमकियों पर ईरानी सुप्रीम लीडर की प्रतिक्रिया
85 वर्षीय सुप्रीम लीडर अली खमेनेई ने सोमवार (31 मार्च) को कहा कि अगर अमेरिका, राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की बमबारी की धमकी पर अमल करता है तो उसे कड़ा झटका झेलना पड़ेगा.
खमेनेई ने कहा, "अमेरिका और इस्राएल से दुश्मनी हमेशा से रही है. वे हम पर हमला करने की धमकी देते हैं, जिसकी हमें ज्यादा संभावना नहीं लगती, लेकिन अगर उन्होंने कोई शरारत की तो उन्हें निश्चित रूप से कड़ा जवाब मिलेगा." उन्होंने कहा, "और अगर वे देश के अंदर पहले जैसे विद्रोह कराने का सोच रहे हैं तो ईरानी जनता खुद उनसे निपटेगी."
ईरानी प्रशासन हालिया अशांति के लिए पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहराता है. इनमें 2022-2023 में एक युवा महिला महसा अमीनी की हिरासत में मौत पर हुए प्रदर्शन और 2019 में ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी पर हुए देशव्यापी प्रदर्शन शामिल हैं.
अमेरिका को 'भरोसा बनाना' होगा: पेजेश्कियान
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने ईरानी टीवी पर प्रसारित एक कैबिनेट बैठक में कहा, "हमने ओमान के जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति के पत्र का जवाब दिया है और सीधी बातचीत के विकल्प को खारिज कर दिया है. लेकिन हम अप्रत्यक्ष वार्ता के लिए तैयार हैं." उन्होंने कहा, "हम बातचीत से नहीं बचते, यह वादों का उल्लंघन है जिसने अब तक हमारे लिए समस्याएं पैदा की हैं." पेजेश्कियान ने कहा,"उन्हें (अमेरिका को) साबित करना होगा कि वे भरोसा बना सकते हैं."
सोमवार (31 मार्च) को जारी एक बयान में यह भी कहा गया कि "अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकियों के बाद" ईरान के विदेश मंत्रालय ने स्विस दूतावास के प्रभारी को तलब किया है. अमेरिका और ईरान के बीच आपसी राजनयिक संबंध नहीं हैं और ईरान में अमेरिकी हितों का प्रतिनिधित्व स्विट्जरलैंड करता है.
ईरान का परमाणु समझौता क्या था?
2015 का परमाणु समझौता तेहरान और विश्व की बड़ी शक्तियों के बीच हुआ था, जिसमें ईरान से अपनी परमाणु कार्यक्रमों को सीमित करने की मांग की गई थी. तेहरान की विवादित परमाणु गतिविधियों के बदले प्रतिबंधों में राहत दी गई थी. पहली बार सत्ता संभालने वाले ट्रंप ने ईरान पर 2018 में फिर से व्यापक प्रतिबंध लगा दिए थे और अमेरिका को समझौते से बाहर निकाल लिया था. तब से ईरान ने परमाणु समझौते में शामिल यूरेनियम संवर्धन सीमाओं को काफी हद तक पार कर लिया है.
पश्चिमी शक्तियां ईरान पर गुप्त रूप से परमाणु हथियार क्षमता विकसित करने का आरोप लगाती रही हैं. इसमें यूरेनियम को उच्च स्तर तक संवर्धित करने का आरोप भी शामिल है. वहीं ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से नागरिक ऊर्जा उद्देश्यों के लिए है.
आरएस/सीके (एपी, डीपीए)