![Netanyahu Released From hospital: इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ऑपरेशन के बाद अस्पताल से मिली छुट्टी Netanyahu Released From hospital: इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ऑपरेशन के बाद अस्पताल से मिली छुट्टी](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2023/07/fbejfb-380x214.jpg)
तेल अवीव, 24 जुलाई: इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को पेसमेकर प्रतिरोपण ऑपरेशन के बाद सोमवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. नेतन्याहू को न्यायिक सुधार संबंधी एक विवादित विधेयक को लेकर संसद में अहम मतदान से पहले अस्पताल से छुट्टी दी गई. इस विधेयक के कानून बनने से मौजूदा न्यायिक शक्तियों में कटौती होने की संभावना है. यह भी पढ़ें: Ferry capsizes in Indonesia: सुलावेसी द्वीप के पास नाव पलटने से हुआ बड़ा हादसा, 15 लोगों की मौत
पेसमेकर प्रतिरोपण ऑपरेशन से एक सप्ताह पहले नेतन्याहू (73) को शरीर में पानी की कमी के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस दौरान उनके शरीर में हृदयगति पर नजर रखने वाला एक उपकरण प्रतिरोपित किया गया था. पेसमेकर एक ऐसा उपकरण होता है, जो हृदयगति को नियमित करने में मदद करता है.
नेतन्याहू का पेसमेकर प्रतिरोपण ऑपरेशन रविवार तड़के रामत गन स्थित ‘शेबा मेडिकल सेंटर’ में हुआ. पेसमेकर प्रतिरोपण ऑपरेशन करने वाले चिकित्सकों ने बाद में बताया कि प्रधानमंत्री को धमनी में रुकावट की एक अस्थायी समस्या थी, जो प्राणघातक हो सकती थी. ‘शेबा मेडिकल सेंटर’ ने रविवार सुबह वीडियो के जरिए जारी एक बयान में बताया कि नेतन्याहू को अतीत में भी हृदय संबंधी समस्याएं रही हैं.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि नेतन्याहू के ऑपरेशन के दौरान उपप्रधानमंत्री एवं विधि मंत्री यारिव लेविन ने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी. नेतन्याहू का ऑपरेशन ऐसे समय में हुआ है, जब न्यायिक बदलाव संबंधी विधेयक पर संसद में मतदान होना है.
इस विधेयक को लेकर देशभर में व्यापक विरोध-प्रदर्शन हुए हैं. यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो उच्चतम न्यायालय से सरकारी फैसलों को ‘अनुचित’ घोषित करने की शक्ति छिन जाएगी. न्यायालय के पास मौजूदा शक्ति देश की सरकार को निरंकुश बनने से रोकने में मदद करती है। देश का संविधान लिखित नहीं है.
नेतन्याहू और उनके धुर दक्षिणपंथी सहयोगियों ने पदभार ग्रहण करने के कुछ दिन बाद जनवरी में इस योजना की घोषणा की थी. उनका दावा है कि अनिर्वाचित न्यायाधीशों को प्राप्त अत्यधिक शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए इसकी आवश्यकता है.
आलोचकों का आरोप है कि यह योजना देश में शक्ति संतुलन की व्यवस्था को बिगाड़ देगी और उसे निरंकुश शासन की ओर ले जाएगी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो. बाइडन ने भी नेतन्याहू से इस योजना को रोकने और व्यापक स्तर पर सहमति कायम करने का अनुरोध किया है.
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