नई दिल्ली: सीबीआई (CBI) ने उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) से कहा है कि महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) द्वारा राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के खिलाफ जांच को विफल करने के प्रयास किए जा रहे हैं और ऐसे मामले दर्ज किए जा रहे हैं जिनका केंद्रीय एजेंसी की जांच से जुड़े मामले पर प्रभाव पड़ रहा है. एजेंसी ने शीर्ष अदालत के समक्ष दायर एक हलफनामे में कहा कि मुंबई (Mumbai) के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह (Parambir Singh) के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच पूर्ण, गहन और निष्पक्ष पड़ताल के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपे जाने के योग्य है. Anil Deshmukh Arrested: धनशोधन मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को देर रात किया गया गिरफ्तार, महिनों से थे गायब
एजेंसी ने कहा, "यह प्रस्तुत किया जाता है कि उच्च न्यायालय (बंबई) और इस अदालत द्वारा विषय से संबंधित मामलों में व्यक्त किए गए कारणों पर विचार करते हुए, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के विचार में, याचिकाकर्ता (सिंह) द्वारा उठाए गए मुद्दों के वर्तमान सेट और उल्लिखित मामले पूर्ण, गहन और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई को सौंपे जाने के योग्य हैं."
सीबीआई ने कहा कि उसने कई व्यक्तियों के बयान/ स्पष्टीकरण की जांच की और इन्हें रिकॉर्ड किया तथा ऑर्केस्ट्रा बार एवं ऐसे अन्य संस्थानों से अनुचित लाभ प्राप्त करने के संबंध में महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख एवं अन्य द्वारा सार्वजनिक कर्तव्य में ईमानदारी न बरतने की जांच के क्रम में प्रासंगिक दस्तावेज एकत्र किए.
इसने हलफनामे में कहा, "मीडिया में उपलब्ध समाचारों और समाचार सामग्री से यह भी पता चला है कि सीबीआई द्वारा अब तक की गई जांच को विफल करने के प्रयास किए जा रहे हैं, ऐसे मामले दर्ज किए जा रहे हैं जो सीबीआई की जांच से जुड़े मामले पर अतिव्यापी प्रभाव डाल रहे हैं.’’
यह हलफनामा पूर्व पुलिस आयुक्त द्वारा उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के खिलाफ दायर एक अपील के जवाब में दायर किया गया है. एजेंसी ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि अदालत द्वारा सीबीआई को सौंपी गई जांच में दखल देने का स्पष्ट प्रयास किया गया है और साथ ही इसे खतरे में डालने का प्रयास किया गया है.
हलफनामे में कहा गया है, "ऐसी परिस्थितियों में, यह अनुरोध किया जाता है कि यह न्यायालय अपने पास निहित शक्तियों का प्रयोग करे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विभिन्न तबकों द्वारा किए जा रहे इस तरह के प्रयास हमेशा के लिए विफल हो जाएं."
महाराष्ट्र पुलिस ने पूर्व में शीर्ष अदालत से कहा था कि सिंह को कानून के तहत 'व्हिसलब्लोअर' नहीं माना जा सकता क्योंकि उन्होंने अपने स्थानांतरण के बाद ही पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने का फैसला किया.
शीर्ष अदालत ने 22 नवंबर, 2021 को सिंह को एक बड़ी राहत देते हुए महाराष्ट्र पुलिस को उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया था और आश्चर्य जताया था कि यदि पुलिस अधिकारियों और जबरन वसूली करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कराने को लेकर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है तो ‘‘आम आदमी के साथ क्या हो सकता है.’’
पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने और राज्य द्वारा की जाने वाली किसी दंडात्मक कार्रवाई के खिलाफ दायर सिंह की याचिका को खारिज करने का आग्रह करते हुए, महाराष्ट्र सरकार ने शीर्ष अदालत में एक जवाबी हलफनामा दायर कर कहा है कि पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी के खिलाफ आपराधिक मामलों में चल रही जांच में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए.
मुंबई और ठाणे में कथित जबरन वसूली के कम से कम पांच मामलों में आरोपी बताए जाने के बाद सिंह को दिसंबर, 2021 में निलंबित कर दिया गया था. इससे पहले, बंबई उच्च न्यायालय ने सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई जांच को रद्द किए जाने का आग्रह किया था. अदालत ने कहा था कि वह केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण से संपर्क कर सकते हैं.
उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह सेवा से जुड़ा मामला है. अदालत ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया कि सरकार की कार्रवाई देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के उनके आरोपों का परिणाम है. मार्च 2021 में 'एंटीलिया बम मामले' के बाद सिंह को मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से हटा दिए जाने के पश्चात, उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. सिंह ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया था कि डीजीपी पांडे ने उन्हें बताया कि पूछताछ राकांपा नेता देशमुख के खिलाफ उनके आरोपों का नतीजा है.
उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर 'एंटीलिया' के पास विस्फोटकों से भरी एक एसयूवी मिलने और बाद में व्यवसायी मनसुख हिरन की संदिग्ध मौत के मामले में मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाजे को गिरफ्तार किए जाने के बाद सिंह को होमगार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया था.
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