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आजम खान की जमानत याचिका पर देरी न्याय के साथ मजाक: उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने जमीन कब्जाने के मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की जमानत याचिका पर सुनवाई में देरी पर शुक्रवार को नाराजगी जताई और इसे ''न्याय के साथ मजाक'' करार दिया. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि खान को 87 में से 86 मामलों में जमानत मिल चुकी है और वह 11 मई को इस मामले पर सुनवाई करेगी.

एजेंसी न्यूज Bhasha|
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    आजम खान की जमानत याचिका पर देरी न्याय के साथ मजाक: उच्चतम न्यायालय

    उच्चतम न्यायालय ने जमीन कब्जाने के मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की जमानत याचिका पर सुनवाई में देरी पर शुक्रवार को नाराजगी जताई और इसे ''न्याय के साथ मजाक'' करार दिया. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि खान को 87 में से 86 मामलों में जमानत मिल चुकी है और वह 11 मई को इस मामले पर सुनवाई करेगी.

    एजेंसी न्यूज Bhasha|
    आजम खान की जमानत याचिका पर देरी न्याय के साथ मजाक: उच्चतम न्यायालय
    सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: Wikimedia Commons)

    नयी दिल्ली, 6 मई : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने जमीन कब्जाने के मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की जमानत याचिका पर सुनवाई में देरी पर शुक्रवार को नाराजगी जताई और इसे ''न्याय के साथ मजाक'' करार दिया. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि खान को 87 में से 86 मामलों में जमानत मिल चुकी है और वह 11 मई को इस मामले पर सुनवाई करेगी. पीठ ने कहा, “उन्हें (खान) एक मामले को छोड़कर सभी मामलों में काफी पहले जमानत मिल चुकी है. यह न्याय के साथ मजाक है. हम और कुछ नहीं कहेंगे. हम बुधवार को इस पर सुनवाई करेंगे.'' खान की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि उच्च न्यायालय ने जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय परियोजना के लिए शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में खान की जमानत अर्जी पर बृहस्पतिवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. उच्च न्यायालय ने इससे पहले चार दिसंबर 2021 को भी अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. हालांकि, बाद में राज्य सरकार ने एक आवेदन किया और नए हलफनामे के माध्यम से कुछ नए तथ्य पेश करने की अनुमति मांगी, जो बृहस्पतिवार को दाखिल किए गए. खान और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर शत्रु संपत्ति हड़पने तथा करोड़ों रुपये से अधिक के सार्वजनिक धन के गबन को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. रामपुर के आजम नगर थाने में भारतीय दंड संहिता और सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. यह भी पढ़ें : ओपीएस ने स्टालिन से कहा, ‘परीक्षा के समय निरंतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करें’

    प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया है कि विभाजन के दौरान इमामुद्दीन कुरैशी नामक व्यक्ति पाकिस्तान चला गया था और उसकी जमीन को शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया, लेकिन खान ने अन्य लोगों की मिलीभगत से 13.842 हेक्टेयर के संबंधित भूखंड पर कब्जा कर लिया. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने फरवरी में उत्तर प्रदेश चुनाव में प्रचार करने के लिए खान को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और उन्हें मामले के शीघ्र निपटान के लिए संबंधित अदालत का दरवाजा खटखटाने को कहा था. खान फिलहाल जमीन कब्जाने समेत कई मामलों में उत्तर प्रदेश की सीतापुर जेल में बंद हैं.

    एजेंसी न्यूज Bhasha|
    आजम खान की जमानत याचिका पर देरी न्याय के साथ मजाक: उच्चतम न्यायालय
    सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: Wikimedia Commons)

    नयी दिल्ली, 6 मई : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने जमीन कब्जाने के मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की जमानत याचिका पर सुनवाई में देरी पर शुक्रवार को नाराजगी जताई और इसे ''न्याय के साथ मजाक'' करार दिया. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि खान को 87 में से 86 मामलों में जमानत मिल चुकी है और वह 11 मई को इस मामले पर सुनवाई करेगी. पीठ ने कहा, “उन्हें (खान) एक मामले को छोड़कर सभी मामलों में काफी पहले जमानत मिल चुकी है. यह न्याय के साथ मजाक है. हम और कुछ नहीं कहेंगे. हम बुधवार को इस पर सुनवाई करेंगे.'' खान की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि उच्च न्यायालय ने जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय परियोजना के लिए शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में खान की जमानत अर्जी पर बृहस्पतिवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. उच्च न्यायालय ने इससे पहले चार दिसंबर 2021 को भी अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. हालांकि, बाद में राज्य सरकार ने एक आवेदन किया और नए हलफनामे के माध्यम से कुछ नए तथ्य पेश करने की अनुमति मांगी, जो बृहस्पतिवार को दाखिल किए गए. खान और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर शत्रु संपत्ति हड़पने तथा करोड़ों रुपये से अधिक के सार्वजनिक धन के गबन को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. रामपुर के आजम नगर थाने में भारतीय दंड संहिता और सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. यह भी पढ़ें : ओपीएस ने स्टालिन से कहा, ‘परीक्षा के समय निरंतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करें’

    प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया है कि विभाजन के दौरान इमामुद्दीन कुरैशी नामक व्यक्ति पाकिस्तान चला गया था और उसकी जमीन को शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया, लेकिन खान ने अन्य लोगों की मिलीभगत से 13.842 हेक्टेयर के संबंधित भूखंड पर कब्जा कर लिया. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने फरवरी में उत्तर प्रदेश चुनाव में प्रचार करने के लिए खान को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और उन्हें मामले के शीघ्र निपटान के लिए संबंधित अदालत का दरवाजा खटखटाने को कहा था. खान फिलहाल जमीन कब्जाने समेत कई मामलों में उत्तर प्रदेश की सीतापुर जेल में बंद हैं.

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