
ईरान पर इस्राएल के हमले ने वित्तीय बाजार को हिला दिया है. इससे दुनिया में तेल की आपूर्ति बाधित होने का डर पैदा हो गया है. यह संकट ऐसे समय में शुरू हुआ है जब ट्रंप के टैरिफों की वजह से आर्थिक जगत में उथल-पुथल मची है.शुक्रवार को जब इस्राएल ने ईरान पर हमला किया तो इसका आर्थिक असर तुरंत देखने को मिला. तेल के दाम चढ़ गए और निवेशकों ने अपना पैसा शेयरों से निकालकर सरकारी बॉन्ड्स और सोने जैसे विकल्पों में लगाना शुरू कर दिया. कच्चे तेल के दामों का ब्रेंट ग्लोबल बेंचमार्क 10 प्रतिशत से भी ज्यादा की बढ़त के साथ 75.15 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया, जो लगभग बीते पांच सालों में सबसे ज्यादा है.
दोनों देशों की तरफ से जिस तरह के बयान आ रहे हैं, उससे अभी तनाव घटते के आसार नहीं दिखते. इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू का कहना है कि जब उनका सैन्य अभियान तब तक जारी रहेगा, "जब तक खतरे को खत्म नहीं कर दिया जाएगा." उनका इशारा उन आशंकाओं की तरफ है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है. उधर, ईरान के सुप्रीम नेता भी इस्राएल को सख्त दंड भुगतने की चेतावनी दे चुके हैं.
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हमले का असर
इस्राएल और ईरान के साथ-साथ इराक और जॉर्डन ने भी अपना वायुक्षेत्र बंद कर दिया है. ऐसे में, बहुत सी एयरलाइनों ने इस इलाके के लिए अपनी उड़ानों को रद्द कर दिया है. संकट की स्थिति में एयरलाइनों के लिए उड़ान भरना सुरक्षित नहीं होता. एविएशन कंसल्टेंसी ऑस्प्रे फ्लाइट सॉल्यूशंस का कहना है कि 2001 के बाद से दुनिया भर में छह व्यावासियक विमानों को जानबूझ कर मार गिराया गया है और इस दौरान तीन विमान बाल-बाल बचे.
एक विकल्प है उड़ानों का रास्ता बदलना, लेकिन यह बहुत खर्चीला है. इससे ना सिर्फ उड़ानों में ज्यादा समय लगता है बल्कि ईंधन भी ज्यादा खर्च होता है. हमले के बाद से ईरान का वायुक्षेत्र लगभग खाली दिख रहा है.
वहीं, इस्राएल की मुद्रा शेकेल में डॉलर के मुकाबले 20 फीसदी की गिरावट आई है क्योंकि इस्राएल ने "विशेष आपात स्थिति" की घोषणा की है. इससे खरीददारों में अफरा-तफरी है. इस बीच, इस्राएल में कुछ सुपर मार्केट्स के आगे लोगों की भारी भीड़ देखी गई. इस्राएली मीडिया संस्था यनेट ने सुपरमार्केट चेन कारफोर के हवाला से लिखा कि शुक्रवार को उसके स्टोर्स में आने वाले लोगों की तादात में 300 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया.
तेल आपूर्ति पर असर
अगर इस्राएल और ईरान के बीच मौजूदा टकराव एक बड़े युद्ध में तब्दील होता है तो इसका सीधा असर इस क्षेत्र के ऊर्जा बाजार और यहां के व्यापार रूटों पर पड़ेगा. मध्य पूर्व दुनिया का बड़ा तेल उत्पादक क्षेत्र है. दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडारों और उत्पादकों में से कुछ यहीं पर हैं. ईरान, मध्य पूर्व में सऊदी अरब और इराक के बाद तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. उसके तेल निर्यात पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को बावजूद ईरान अपना बहुत सारा तेल चीन और भारत को बेचता है.
अब सारी नजरें होरमुज जलडमरूमध्य पर लगी हैं, जो ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान के बीच एक संकरा सा जलमार्ग है, लेकिन तेल के वैश्विक व्यापार में इसकी बहुत अहमियत है. अगर इसे बंद किया गया, जैसी कि कई बार धमकी दे चुका है, तो तेल के टैंकर फंस जाएंगे और तेल के दाम और चढ़ सकते हैं.
दुनिया में जितने भी तेल की खपत होती है, उसका 20 प्रतिशत इसी संकरे जलमार्ग से होकर गुजरता है. अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (ईआईए) का कहना है कि हर दिन 1.8 से 1.9 करोड़ बैरल यहां से हो कर जाते हैं. तेल के दाम बढ़ते हैं तो आम लोगों के लिए महंगाई बढ़ जाती है. उन्हें ईंधन से लेकर खाने तक, बहुत सारी चीजों पर ज्यादा दाम चुकाने पड़ते हैं.