नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक नया परिपत्र जारी कर अपने अधिकारियों या जांच अधिकारियों (आईओ) को निर्देश दिया है कि वे समन पर बुलाए गए लोगों से ‘बेवक्त’ पूछताछ न करें और उन्हें कार्यालय में घंटों इंतजार न कराएं. ईडी ने बंबई उच्च न्यायालय के एक निर्देश के संबंध में 11 अक्टूबर को यह परिपत्र जारी किया है. दरअसल, बंबई उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए संघीय एजेंसी को इस तरह का आदेश जारी करने के संबंध में निर्देश दिया था क्योंकि व्यक्ति ने अदालत को बताया था कि ईडी ने उसे तलब किया था ‘‘रात भर हिरासत में रखा और पूछताछ की थी.’’ उच्च न्यायालय ने पाया कि 64 वर्षीय याचिकाकर्ता को पूछताछ के लिए ईडी कार्यालय में बुलाया गया था और उन्हें आधी रात के बाद भी इंतजार कराया गया.
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि बेवक्त व्यक्ति का बयान दर्ज करने पर ‘‘निश्चित रूप से उसकी नींद प्रभावित हुई, जो उसका बुनियादी मानवाधिकार है.’’ अदालत ने कहा कि वह एजेंसी की इस तरह की कार्यप्रणाली को अस्वीकार करती है और एजेंसी को निर्देश दिया कि वह धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत समन जारी करने के बाद लोगों के बयान दर्ज करने और समय के संबंध में अपने जांच अधिकारियों को एक परिपत्र या निर्देश जारी करे. ईडी ने इसके बाद अदालत को बताया कि उसने इस संदर्भ में 11 अक्टूबर को एक नया तकनीकी परिपत्र जारी किया है. परिपत्र में कहा गया कि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकृत अधिकारी या जांच अधिकारी को “तय की गई तारीख और समय पर बुलाए गए व्यक्ति से पूछताछ के लिए प्रश्नावली के साथ-साथ दस्तावेजों की प्रतियों के साथ तैयार रहना होगा.” यह भी पढ़ें : जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल कराने से संबंधित मंत्रिमंडल के प्रस्ताव को उपराज्यपाल की मंजूरी
इसमें कहा गया कि जांच अधिकारी को समन के अनुपालन की तारीख और समय तय करने के दौरान यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिस व्यक्ति को समन भेजा गया है, उसे घंटों इंतजार कराए बिना तय समय और तारीख पर पूछताछ के लिए बुलाया जाए. परिपत्र में कहा गया कि जांच अधिकारी धनशोधन से जुड़े मामलों को ध्यान में रखते हुए समन किए गए व्यक्ति से जल्द से जल्द या उसी दिन या फिर अगले दिन पूछताछ समाप्त करने की कोशिश करेंगे क्योंकि ऐसे मामलों में आरोपी ऑनलाइन उपकरणों का उपयोग करके या मोबाइल फोन या अन्य डिजिटल माध्यम का उपयोग कर के अवैध रूप से प्राप्त की गई राशि को स्थानांतरित कर सकता है या छिपा सकता है. साथ ही वह कम समय में डिजिटल साक्ष्य को भी नष्ट कर सकता है.