अहमदाबाद/नयी दिल्ली: गुजरात उच्च न्यायालय ने ‘मोदी उपनाम’ को लेकर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर रोक संबंधी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि ‘‘राजनीति में शुचिता’’ समय की मांग है. न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने 53 वर्षीय गांधी की याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की, ‘‘जनप्रतिनिधियों को स्वच्छ छवि का व्यक्ति होना चाहिए.’’
अदालत ने यह भी कहा कि दोषसिद्धि पर रोक लगाना नियम नहीं, बल्कि अपवाद है, जो विरले मामलों में इस्तेमाल होता है. इसने कहा कि सजा पर रोक लगाने का कोई उचित आधार नहीं है. गांधी की सजा पर अगर रोक लग जाती तो लोकसभा सदस्य के रूप में उनकी बहाली का मार्ग प्रशस्त हो जाता. BREAKING: बालासोर ट्रेन हादसे को लेकर बड़ी खबर, अमीर खान समेत 3 अधिकारियों को CBI ने किया गिरफ्तार
न्यायमूर्ति प्रच्छक ने 125 पन्नों के फैसले में कहा कि राहुल गांधी देशभर में पहले से ही 10 आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं और (मोदी उपनाम वाली) टिप्पणी पर दो साल की जेल की सजा का निचली अदालत का आदेश ‘‘उचित, मुनासिब और विधिसम्मत’’ है.
न्यायाधीश ने उल्लेख किया कि यह कोई "व्यक्ति-केंद्रित मानहानि का मामला" नहीं था, बल्कि कुछ ऐसा था जिसने "समाज के एक बड़े वर्ग" को प्रभावित किया. अदालत ने यह भी कहा कि गांधी ने "सनसनी फैलाने" के लिए और 2019 के लोकसभा चुनाव के "परिणाम को प्रभावित करने" के इरादे से अपने भाषण में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लिया.
कांग्रेस ने कहा कि वह फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाएगी। इसने आरोप लगाया कि सरकार गांधी की आवाज को दबाने के लिए "नई तकनीक" ढूंढ़ रही है क्योंकि वह उनके सच बोलने से परेशान है.
गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा 2019 में दायर एक मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी.
मामला गांधी की इस टिप्पणी से संबंधित था कि ‘‘सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी क्यों होता है.’’
यह टिप्पणी कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को की गई थी. इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) राहुल गांधी के समर्थन में सामने आई और भाजपा पर आरोप लगाया कि वह लोगों का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाने के लिए "निरर्थक राजनीति" कर रही है.
दिल्ली में सेवा संबंधी अध्यादेश के मुद्दे पर हाल के हफ्तों में आप और कांग्रेस आमने-सामने रही हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा सेवाओं पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ अपनी लड़ाई के लिए विपक्ष का समर्थन मांगे जाने के बाद कांग्रेस अपने रुख पर चुप है. भाजपा ने फैसले का स्वागत किया और कहा कि दूसरों को गाली देना एवं बदनाम करना कांग्रेस नेता की "पुरानी आदत" है.
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘वह (गांधी) बिल्कुल अस्तित्वहीन आधार पर दोषसिद्धि पर रोक लगाने की कोशिश कर रहे थे. यह कानून का एक सुस्थापित सिद्धांत है कि दोषसिद्धि पर रोक एक नियम नहीं, बल्कि एक अपवाद है, जिसका सहारा केवल दुर्लभ मामलों में लिया जाता है. अयोग्यता केवल सांसदों, विधायकों तक सीमित नहीं है. इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता के खिलाफ 10 से अधिक आपराधिक मामले लंबित हैं.’’
गांधी जिन मामलों का सामना कर रहे हैं उनका उल्लेख करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा, "अब राजनीति में शुचिता का होना समय की मांग है. जनप्रतिनिधियों को साफ-सुथरी छवि वाला व्यक्ति होना चाहिए." न्यायमूर्ति प्रच्छक ने रेखांकित किया कि मौजूदा शिकायत दर्ज होने के बाद हिंदुत्ववादी विचारक वी डी सावरकर के पोते ने राहुल गांधी के "कैम्ब्रिज में वीर सावरकर के खिलाफ अपमानजनक बयान" के लिए पुणे की एक अदालत में एक और शिकायत दर्ज कराई थी, तथा साथ ही उनके खिलाफ लखनऊ की एक अदालत में भी अलग से शिकायत दायर की गई थी.
न्यायाधीश ने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करना किसी भी प्रकार से आवेदक के साथ अन्याय नहीं कहलाता. उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘अपीलीय अदालत (सूरत में) द्वारा पारित किया गया आदेश न्यायसंगत, उचित और कानून-सम्मत है, और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. हालांकि, संबंधित जिला न्यायाधीश से अनुरोध किया जाता है कि वह अपनी योग्यता के आधार पर तथा कानून के दायरे में यथाशीघ्र आपराधिक अपील पर निर्णय लें.’’
न्यायमूर्ति प्रच्छक ने अपराध गंभीर न होने की गांधी की दलील पर कहा, ‘‘अभियुक्त सांसद थे, वह राष्ट्रीय स्तर पर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष थे तथा उस पार्टी के अध्यक्ष थे, जिसने 50 साल से अधिक समय तक देश में शासन किया था. वह हजारों लोगों के सामने दे रहे थे और उन्होंने चुनाव परिणाम प्रभावित करने के इरादे से चुनाव में गलतबयानी की थी.’’
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