GRP आयुक्त ने सुरक्षा चेतावनियों की अनदेखी कर होर्डिंग लगाने की अनुमति दी:निलंबित आईपीएस अधिकारी
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मुंबई, 18 जुलाई : भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के निलंबित अधिकारी कैसर खालिद ने घाटकोपर होर्डिंग दुर्घटना की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के समक्ष दावा किया कि राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के निवर्तमान आयुक्त रवींद्र शिसवे ने न तो अवैध होर्डिंग के बड़े आकार से जुड़ी शिकायतों पर कोई कार्रवाई की और न ही इसके टिकने की क्षमता परखी. इस साल मई में मुंबई के घाटकोपर इलाके में एक पेट्रोल पंप पर होर्डिंग गिरने की घटना में 17 लोगों की मौत हो गई थी. हादसे के समय जीआरपी के आयुक्त रहे खालिद ने यह भी दावा किया कि कार्यालय नोट के माध्यम से ये शिकायतें शिसवे के समक्ष उठाई गई थीं. खालिद को पुलिस महानिदेशक कार्यालय से मंजूरी लिए बिना खुद होर्डिंग लगाने की मंजूरी देने के लिए प्रशासनिक लापरवाही और अनियमितताओं के आरोप में निलंबित कर दिया गया था. उनका बयान मुंबई अपराध शाखा की एसआईटी द्वारा पिछले सप्ताह मजिस्ट्रेट अदालत में दाखिल आरोपपत्र का हिस्सा है.

खालिद ने एसआईटी अधिकारियों को बताया कि उन्होंने अधिकतम 200 वर्ग फीट तक का होर्डिंग लगाने की मंजूरी दी थी. यह निर्णय स्थानीय मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए साइट पर मौजूद अन्य होर्डिंग के लिए आवश्यक सुरक्षा शर्तों पर आधारित था. खालिद के मुताबिक, उन्होंने होर्डिंग को पेट्रोल पंप के पास लगाए जाने की बात को भी ध्यान में रखा था और इसे लगाने वाली कंपनी ईगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को जारी निविदा आवंटन आदेश में भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिडेट (बीपीसीएल) की ओर से निर्धारित अतिरिक्त शर्तें भी शामिल की थीं. ईगो मीडिया ने 19 दिसंबर 2022 को संशोधित किराये के लिए आवेदन किया, जिसमें होर्डिंग के आकार को बढ़ाकर 33,600 वर्ग फीट करने का प्रस्ताव दिया गया था. यह भी पढ़ें : Rudra Prayag Accident: रुद्रप्रयाग में कोटेश्वर के पास खाई में गिरी कार, 2 की मौत और 4 घायल

हालांकि, स्थानांतरण आदेश के अधीन कार्य कर रहे खालिद ने इसे नीतिगत मामला मानते हुए कोई निर्णय लेने से इनकार कर दिया और कार्यालय से कहा कि वह इस मामले को नये जीआरपी आयुक्त शिसवे के समक्ष रखें. इस बीच, बीपीसीएल ने पेट्रोल पंप को आवंटित भूखंड पर ईगो मीडिया लिमिटेड द्वारा होर्डिंग लगाने के लिए बड़े दायरे में की जा रही खुदाई पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) की लाइसेंस शर्तों का उल्लंघन है. खालिद ने दावा किया कि बीपीसीएल ने कंपनी से खुदाई रोकने और मिट्टी भरकर उक्त हिस्से का मूल स्वरूप बहाल करने का अनुरोध किया था.

खालिद ने कहा कि चूंकि, भूमि जीआरपी मुंबई की थी, इसलिए यह तय किया गया कि बीपीसीएल की आपत्ति के कोई मायने नहीं हैं. उन्होंने दावा किया शिसवे और एगो मीडिया के मौन समर्थन से होर्डिंग निर्माण का काम बेरोक-टोक जारी रहा, जिसके परिणामस्वरूप वहां 33,800 वर्ग फीट का एक विशाल होर्डिंग खड़ा कर दिया गया. खालिद के अनुसार, “होर्डिंग लगाए जाने के बाद कई राजनीतिक, सामाजिक और गैर-सरकारी संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई. उन्होंने पुणे में लगाई गई ऐसी ही एक होर्डिंग का हवाला दिया, जिसके गिरने से पांच लोगों की दबकर मौत हो गई थी.” खालिद ने आरोप लगाया, “शिसवे ने इन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने न तो होर्डिंग के टिकने की क्षमता परखवाई और न ही शिकायतों में उठाए गए मुद्दों पर ध्यान दिया. ये सभी शिकायतें कार्यालय नोट के माध्यम से उनके सामने रखी गई थीं. हालांकि, उन्होंने इन शिकायतों पर कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया. इससे स्पष्ट है कि अवैध होर्डिंग के निर्माण और संचालन में एगो मीडिया को उनका समर्थन हासिल था.”