![जरुरी जानकारी | मलेशिया एक्सचेंज कमजोर रहने से सीपीओ, पामोलीन, सोयाबीन तेल में गिरावट जरुरी जानकारी | मलेशिया एक्सचेंज कमजोर रहने से सीपीओ, पामोलीन, सोयाबीन तेल में गिरावट](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2020/04/default_04-380x214.jpg)
नयी दिल्ली, 21 मई उम्मीद के विपरीत सरसों की आवक नहीं बढ़ने की वजह से देश के बाजारों में मंगलवार को सरसों तेल-तिलहन के दाम मजबूत बंद हुए। जबकि स्थानीय दाम कमजोर होने की वजह से सोयाबीन तेल तथा मलेशिया एक्सचेंज के कमजोर रहने के कारण कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई। स्टॉक की कमी और ऊंची लागत की वजह से मांग प्रभावित होने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन और बिनौला तेल कीमतें पूर्वस्तर पर बंद हुईं।
मलेशिया एक्सचेंज कमजोर चल रहा है और शाम का बाजार बंद है। शिकॉगो एक्सचेंज भी फिलहाल मंदा है लेकिन कल रात यह तीन प्रतिशत से अधिक तेज बंद हुआ था।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मिल वालों को पेराई के लिए सरसों नहीं मिल रहा है। जो प्रवक्ता मंडियों में सरसों की आवक बढ़ने और सरसों का दाम टूटने का अंदाज लगा रहे थे, वह होता दिख नहीं रहा। किसान अपनी फसल को किसी भी सूरत में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे दाम पर बेचने को राजी नहीं नजर आ रहे। किसानों ने इस उम्मीद में अपना माल रोक रखा है कि आम चुनावों के बाद सरकार उनकी समस्या की ओर ध्यान देगी और सरसों खरीद बढ़ाने का कोई इंतजाम करेगी। सरसों की आवक अपेक्षा के अनुकूल नहीं रहने से सरसों तेल-तिलहन के थोक दाम मजबूत बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि दूसरी ओर आयात में नुकसान होने की वजह से सोयाबीन तेल के थोक दाम में गिरावट देखी गई। स्थानीय बाजार में इसके दाम कमजोर हैं। वहीं मलेशिया एक्सचेंज की गिरावट की वजह से सीपीओ और पामोलीन तेल में गिरावट है।
उन्होंने कहा कि ऊंची लागत की वजह से महंगा होने के कारण कारोबार कमजोर रहने से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। किसानों द्वारा नीचे भाव पर बिकवाली नहीं करने से सोयाबीन तिलहन के दाम भी पूर्वस्तर पर बंद हुए। बिनौले की बाजार में आवक नहीं के बराबर है और कारोबार लगभग ठप रहने के बीच इसके भाव भी पूर्वस्तर पर बने रहे। बिनौले की अगली फसल आने में अभी लगभग पांच महीने की देरी है।
सूत्रों ने कहा कि गुजरात के बिनौला खल के कारोबार से जुड़े संगठन ने नकली बिनौले खल पर रोक की मांग की है क्योंकि इससे मवेशियों को नुकसान पहुंच सकता है और कपास का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। असली खल का हाजिर भाव 3,500-3,600 रुपये क्विंटल है वहीं नकली बिनौले खल का हाजिर भाव 2,400-2,500 रुपये क्विंटल है। जबकि वायदा कारोबार में जून अनुबंध का भाव 2,700 रुपये क्विंटल है। बिनौले के नकली खल की वजह से इस बार किसानों को कपास की बिजाई कम करते देखा गया है। राजस्थान के गंगानगर में पिछले साल के 2.31 लाख हेक्टेयर की बिजाई के मुकाबले इस साल 14 मई तक महज लगभग 60,000 हेक्टेयर में कपास की खेती की गई है। किसानों की बुवाई में कम रुचि का कारण नकली बिनौला खल भी हो सकता है जिसकी वजह से किसानों के असली बिनौला खल बेपड़ता बैठने के कारण खपता नहीं है। उन्होंने इस समस्या की ओर ध्यान दिये जाने की जरूरत बताई है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति के लिए कहीं अधिक जिम्मेदार उन तेल संगठनों को ठहराया जाना चाहिये जो सही समय पर उचित परामर्श देने की जिम्मेदारी निभाने सामने नहीं आते।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 5,875-5,925 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,100-6,375 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,650 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,215-2,515 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 11,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,875-1,975 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,875-1,990 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,980 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,750 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,875 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,850 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,950 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,870-4,890 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,670-4,790 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।
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