कोच्चि, छह अगस्त केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि आवारा कुत्तों के लिए भोजन केंद्र स्थापित करना यह सुनिश्चित करेगा कि वे आक्रामक नहीं होंगे और कॉलोनी के निवासियों पर हमला नहीं करेंगे तथा लोगों के मन से उनके प्रति डर भी निकलेगा।
न्यायमूर्ति ए के जयशंकरण नांबियार और न्यायमूर्ति पी गोपीनाथ की पीठ ने एर्णाकुलम जिले के तिरिक्काकरा नगर निगम इलाके में गली के कुत्तों को जहर दिए जाने के मुद्दे पर गौर करते हुए कहा, “अगर आप भोजन केंद्रों या ऐसे इलाकों की पहचान करते हैं तो इन सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।”
अदालत ने यह भी कहा कि भारत पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) के साथ पंजीकृत संगठन या स्वयंसेवी ही भोजन या गर्भनिरोध गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं।
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को बिना किसी देरी के पालतू जानवरों के मालिकों द्वारा संबंधित स्थानीय अधिकरण में उनका पंजीकरण और लाइसेंस प्राप्त करने के संबंध में एक परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया है जैसा कि नगर पालिका/पंचायत अधिनियम/नियमों के तहत अनिवार्य है।
पीठ ने कहा, “सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देशों के तहत भविष्य में जानवरों के मालिक बनने वालों को पशु प्राप्त होने के तीन महीने के भीतर अपने जानवरों को संबंधित स्थानीय प्राधिकरण के साथ पंजीकृत करने की भी आवश्यकता होगी।”
राज्य सरकार के लिए पेश हुए वकील ने अदालत को आश्वस्त किया कि परिपत्र तत्काल जारी किया जाएगा।
इस बीच, अदालत द्वारा न्यायमित्र नियुक्त अधिवक्ता सुरेश मेनन ने पीठ को बताया कि राज्य में फिलहाल केवल सात पशु कल्याण संगठन हैं जो एडब्ल्यूबीआई के साथ पंजीकृत हैं और चार निजी आश्रय स्थल हैं।
इसके अलावा, 17 आश्रय स्थल निजी लोगों द्वारा उनके घरों में चलाए जा रहे हैं लेकिन इन्हें स्थानीय निवासियों एवं नगर निगम के अधिकारियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
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