
चेन्नई, 30 मार्च भारतीय उद्योग परिसंघ के ग्रीन बिजनेस सेंटर (सीआईआई-जीबीसी) द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में सभी नई आवासीय, वाणिज्यिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 15-20 प्रतिशत हरित स्थल आवंटन को अनिवार्य करने का सुझाव दिया गया है।
सीआईआई ग्रीन बिजनेस सेंटर द्वारा तैयार रिपोर्ट ‘इन्फ्रा साउथ: क्राफ्टिंग लिवेबल एनवायरनमेंट इन इंडियन सिटीज’ में चेन्नई, कोयंबटूर, मदुरै, तिरुचिरापल्ली, तिरुप्पुर और सेलम को टिकाऊ और रहने योग्य शहरों में बदलने की योजना पर प्रकाश डाला गया है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने हाल ही में आयोजित दक्षिण भारत वार्षिक सम्मेलन- 2025 में यह रिपोर्ट जारी की। इसमें अर्थव्यवस्था और जनसंख्या में तेज वृद्धि के कारण शहरी बुनियादी ढांचे और पर्यावरण पर पड़ने वाले भारी दबाव को रेखांकित किया गया है, जो जलवायु परिवर्तन से और बढ़ गया है।
सीआईआई तमिलनाडु सरकार के साथ मिलकर शहरों को हरा-भरा और रहने योग्य बनाने में मदद करेगा। अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि एक हरा-भरा और रहने योग्य शहर आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक आयामों को सामंजस्यपूर्ण ढंग से संतुलित करता है, जिससे उसके निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि नई परियोजनाओं के लिए मास्टर प्लान में हरित और सार्वजनिक खुले स्थानों के लिए विशिष्ट क्षेत्रों को चिन्हित किया जाना चाहिए।
इसमें सार्वजनिक निजी भागीदारी के जरिये शहर भर में वृक्षारोपण अभियान शुरू करने का भी सुझाव दिया गया है। अध्ययन में हरित स्थान, परिवहन, बिजली आपूर्ति, जल प्रबंधन, वायु प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन और बाढ़ सहित अन्य महत्वपूर्ण संकेतकों का आकलन किया गया है।
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