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Pakistan: पाकिस्तान की अदालत ने कुरान को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के अनुरोध संबंधी याचिका खारिज की

पाकिस्तान की एक शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें प्राथमिक से कॉलेज स्तर की शिक्षा के पाठ्यक्रम में पवित्र कुरान को अनुवाद के साथ शामिल करने का अनुरोध किया गया था।

विदेश Bhasha|
Pakistan: पाकिस्तान की अदालत ने कुरान को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के अनुरोध संबंधी याचिका खारिज की
Flag of Pakistan (Photo Credit : Twitter)

कराची, 16 दिसंबर पाकिस्तान की एक शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें प्राथमिक से कॉलेज स्तर की शिक्षा के पाठ्यक्रम में पवित्र कुरान को अनुवाद के साथ शामिल करने का अनुरोध किया गया था. सिंध उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि आस्था एक व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला है और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. यह भी पढ़ें: PAK विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने पार कीं सारी हदें, PM मोदी पर बदतमीजी भरी टिप्पणी, BJP देशभर में करेगी प्रदर्शन

अदालत ने कहा कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने पर शिक्षा पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है.

उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान ने सत्ता के तीन स्तंभों - न्यायपालिका, विधायिका और प्रशासन की भूमिकाओं के बीच एक संतुलन बनाया है.

अदालत ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 20 नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है और राज्य के लिए व्यक्तियों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना अनिवार्य बनाता है.

अदालत ने कहा कि पाकिस्तान का संविधान किसी व्यक्ति को सरकार के हस्तक्षेप के बिना अपने मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल करने की गारंटी देता है, जब तक कि वह कानून नहीं तोड़ता. %A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE+%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%9C+%E0%A4%95%E0%A5%80 https%3A%2F%2Fhindi.latestly.com%2Fworld%2Fpakistan-court-rejects-plea-seeking-inclusion-of-quran-in-school-curriculumr-1623410.html',900, 600)" title="Share on Whatsapp">

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कराची, 16 दिसंबर पाकिस्तान की एक शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें प्राथमिक से कॉलेज स्तर की शिक्षा के पाठ्यक्रम में पवित्र कुरान को अनुवाद के साथ शामिल करने का अनुरोध किया गया था. सिंध उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि आस्था एक व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला है और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. यह भी पढ़ें: PAK विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने पार कीं सारी हदें, PM मोदी पर बदतमीजी भरी टिप्पणी, BJP देशभर में करेगी प्रदर्शन

अदालत ने कहा कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने पर शिक्षा पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है.

उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान ने सत्ता के तीन स्तंभों - न्यायपालिका, विधायिका और प्रशासन की भूमिकाओं के बीच एक संतुलन बनाया है.

अदालत ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 20 नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है और राज्य के लिए व्यक्तियों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना अनिवार्य बनाता है.

अदालत ने कहा कि पाकिस्तान का संविधान किसी व्यक्ति को सरकार के हस्तक्षेप के बिना अपने मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल करने की गारंटी देता है, जब तक कि वह कानून नहीं तोड़ता.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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