एससीओ बैठक में शामिल होने इस्लामाबाद पहुंचे जयशंकर
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के लिए भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पहुंच गए हैं. करीब नौ साल बाद किसी भारतीय विदेश मंत्री का पाकिस्तान दौरा हो रहा है.भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर एक प्रतिनिधिमंडल के साथ पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पहुंचे हैं. वह पाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्र प्रमुखों की बैठक में हिस्सा लेने गए हैं. पाकिस्तान, एससीओ के राष्ट्र प्रमुखों की 23वीं बैठक की मेजबानी कर रहा है.

भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से कायम तनाव की पृष्ठभूमि में बीते कई दिनों से एससीओ की यह बैठक चर्चा में है, खासतौर पर भारत के इस बैठक में शामिल होने के फैसले के कारण. परमाणु शक्ति संपन्न देश भारत और पाकिस्तान के आपसी रिश्तों में पिछले कई सालों से ठंडापन पसरा है. कश्मीर मुद्दे से लेकर सीमा पार से आतंकवाद, दोनों देशों के बीच तनाव और शत्रुता का कारण रहा है.

भारत-पाकिस्तान में द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी

भारतीय विदेश मंत्रालय ने 14 अक्टूबर को एक बयान जारी कर कहा, "एससीओ की बैठक हर साल आयोजित की जाती है और इसमें संगठन के व्यापार और आर्थिक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित किया जाता है." बयान में आगे कहा गया, "विदेश मंत्री एस. जयशंकर बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. भारत एससीओ फ्रेमवर्क में सक्रिय रूप से शामिल है."

भारत और पाकिस्तान, दोनों पहले ही एससीओ की मुख्य बैठक के इतर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता से इनकार कर चुके हैं. एस. जयशंकर ने यह कहते हुए द्विपक्षीय वार्ता से इनकार कर दिया था कि उनकी यात्रा एक बहुपक्षीय कार्यक्रम के लिए है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक डार ने भी कहा कि अभी भारत से द्विपक्षीय वार्ता की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा था कि द्विपक्षीय बातचीत के लिए ना ही भारत ने अनुरोध किया है और ना ही पाकिस्तान ने.

भारत-पाकिस्तान रिश्तों के लिए ऐतिहासिक मौका था लाहौर समझौता

क्यों अहम है भारतीय विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा?

जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा को नई दिल्ली की ओर से एक महत्वपूर्ण फैसले के रूप में देखा जा रहा है. हाल ही में एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा था कि किसी भी पड़ोसी की तरह, भारत भी पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहेगा, लेकिन सीमा पार आतंकवाद को नजरअंदाज करके यह नहीं हो सकता. भारत ने लगातार कहा है कि पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंध केवल आतंक और हिंसा से मुक्त माहौल में ही संभव हो सकते हैं.

भारत के बारे में क्या सोचते हैं उसके पड़ोसी देशों के लोग

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लिए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के भारत के फैसले के बाद दोनों राष्ट्रों के संबंध और बिगड़ गए. भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत से अपने राजनयिक संबंधों को सीमित कर लिया था.

पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार ने समाचार चैनल एनडीटीवी से कहा, "अब पाकिस्तान के पाले में है कि वह भारत-पाकिस्तान रिश्ते सामान्य होने की बात करे. 2019 में पुलवामा और फिर बालाकोट के बाद भारत ने साफ कर दिया है कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते, लेकिन तब से पाकिस्तान ने कोई रचनात्मक कदम नहीं उठाया." उन्होंने आगे कहा, "अनुच्छेद 370 का पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है. यह भारत का आंतरिक मामला है. नतीजतन, अगर रिश्ते सुधारने हैं तो पाकिस्तान को पहले कदम उठाने होंगे."

पाकिस्तान में चीनी प्रधानमंत्री

शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग भी पाकिस्तान पहुंचे हैं. रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन समेत अन्य सदस्य और पर्यवेक्षक देशों के सात और प्रधानमंत्री भी शरीक हो रहे हैं. बेलारूस, किर्गिज गणराज्य, मंगोलिया के प्रधानमंत्री भी पाकिस्तान पहुंच चुके हैं. ईरान के उपराष्ट्रपति मोहम्मद रजा आरिफ बैठक में अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

एससीओ की मुख्य बैठक 15 अक्टूबर को होगी. इससे पहले मंगलवार (14 अक्टूबर) को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ प्रतिनिधियों के स्वागत में रात्रिभोज देंगे. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि शरीफ इस बैठक से इतर द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे. एससीओ में भारत, पाकिस्तान, चीन, रूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस हैं.

हिंसा के साये में शिखर सम्मेलन

दो दिनों की इस बैठक के लिए इस्लामाबाद में सुरक्षा के सख्त उपाए किए गए हैं. 17 अक्टूबर तक शहर की सुरक्षा के लिए सेना को तैनात किया गया है. इस्लामाबाद और रावलपिंडी में तीन दिनों की छुट्टी घोषित कर दी गई है. राजधानी में तीन दिनों के लिए बाजार और स्कूल बंद रहेंगे और सुरक्षा के लिए 10,000 से अधिक पुलिस, अर्धसैनिक बल और सैन्य कर्मियों को तैनात किया गया है.

इतनी सतर्कता और इंतजाम अलग-अलग अलगाववादी समूहों द्वारा हिंसा में वृद्धि के बीच अनिश्चित सुरक्षा स्थिति को भी दर्शाते हैं. इस महीने की शुरुआत में प्रतिबंधित बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने कराची में दो चीनी इंजीनियरों और एक अन्य हमले में 20 खनिकों की हत्या कर दी थी. 14 अक्टूबर को खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू जिले में पुलिस मुख्यालय पर हमला करने की कोशिश कर रहे कम-से-कम पांच आतंकवादियों की पुलिस से मुठभेड़ में मौत हो गई थी.