मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने हाल ही में वैवाहिक विवाद और उसके पति तथा उसके परिवार के सदस्यों द्वारा कथित घरेलू हिंसा के कारण एक महिला के गर्भ को चिकित्सीय रूप से समाप्त करने की अनुमति दी. प्रस्तुतियों के साथ-साथ एक्स बनाम प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग सरकार के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को ध्यान में रखते हुए, न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा, "यह न्यायालय इस बात पर विचार कर रहा है कि याचिकाकर्ता के अपने पति के साथ विवाद के कारण, जिसके कारण उसने घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए अपराध संख्या 875/24 पर एफआईआर दर्ज कराई है, यदि उसे गर्भावस्था जारी रखने के लिए मजबूर किया जाता है, जो वह नहीं चाहती है, तो यह उचित नहीं होगा, क्योंकि यह निश्चित रूप से उसके भविष्य के जीवन और उसके बच्चे के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा." महिला याचिकाकर्ता ने अपने पति के साथ उत्पन्न वैवाहिक विवाद के कारण गर्भावस्था को चिकित्सीय रूप से समाप्त करने की मांग करते हुए भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक याचिका दायर की थी. यह भी पढ़ें: 'अनुकंपा रोजगार प्रदान करते समय अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता'- कोलकाता हाई कोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवाद के कारण महिला को गर्भपात की अनुमति दी:

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