Samvatsari 2019 Date: पवित्र त्योहार पर्यूषण खत्म, कल मनाया जाएगा संवत्सरी पर्व, 'मिच्छामी दुक्कड़म' कहकर मांगते हैं क्षमा
'मिच्छामी दुक्कड़म', (Photo Credits: File Photo)

Samvatsari 2019: जैन धर्म का पवित्र त्योहार पर्यूषण ख़त्म होने वाला है, जिसे संवत्सरी कहते हैं. इस पावन दिन पर जैन धर्म के लोग 'मिच्छामी दुक्कड़म' कहर क्षमा याचना करते हैं. भाद्रपद मास में पर्यूषण पर्व मनाया जाता है. ये पर्व आत्मा की शुद्धि के लिए होता है, इस पर्व में छोटी-छोटी बातों का ध्यान दिया जाता है. पर्यूषण के दौरान व्रत रख, पूजा पाठ और भगवान में ध्यान लगाया जाता है. मन में बुरी बातें और विचार नहीं लानी चाहिए नहीं तो आत्मा की शुद्धि नहीं होती है. पर्यूषण का पर्व ख़त्म हो चुका है और संवत्सरी पर्व मनाया जा रहा है. इस पर्व में अजनाने में की हुई गलतियों की क्षमा याचना की जाती है.

जैन धर्म की परंपरा के अनुसार पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन क्षमावाणी दिवस पर सभी एक-दूसरे से 'मिच्छामी दुक्कड़म' कहकर क्षमा मांगते हैं और कहते है कि अगर मैंने जाने अनजाने में आपको जो भी दुःख दिए हैं, उसके लिए हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना करते हैं. जैन धर्म में 'मिच्छामी' का अर्थ क्षमा और दुक्कड़म का अर्थ गलतियों से है. जैन धर्म के अनुसार संवत्सरी पर्व पर साल भर से दिल में भरी कड़वाहट और जहर को साफ़ कर लेना चाहिए. 'मिच्छामी दुक्कड़म' प्राकृत भाषा है, इस भाषा में कई धर्म ग्रंथों की रचना हुई है. संवत्सरी पर्व पर छोटे हो या बड़े सभी एक दूसरे से क्षमा मांगकर अपनी आत्मा की शुद्धि करते हैं.

संवत्सरी 2019 तिथि:

संवत्सरी पर्यूषण का अंतिम दिन है. ये पर्व हर साल भाद्रपद के जैन कैलेंडर महीने में पड़ता है. संवत्सरी तिथि भिन्न हो सकती है, लेकिन आमतौर पर, यह ग्रेगोरियन कैलेंडर में अगस्त और सितंबर के मध्य में मनाया जाता है. हर साल ये त्योहार गणेशोत्सव के साथ मेल खाता है. इस साल संवत्सरी 3 सितंबर को पड़ रही है.

संवत्सरी परंपरा:

संवत्सरी पर्व में अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और लोगों को व्यक्तिगत रूप से 'मिच्छामी दुक्कड़म'कहकर माफ़ी मांगी जाती है. इस दौरान किसी से भी झगड़ा और किसी के लिए मन में कड़वाहट नहीं रखी जाती है. इस दौरान लोग एक दूसरे को बुलाते हैं और इस पारंपरिक वाक्यांश का उपयोग करते हुए क्षमा मांगते हैं. चूंकि ये त्योहार का जैन धर्म के लोगों के लिए बड़ा महत्व रखता है, इसलिए पूरे दिन वो उपवास रखते हैं.

'मिच्छामी दुक्कड़म' का महत्व:

'मिच्छामी दुक्कड़म'एक प्राचीन भारतीय वाक्यांश है, जिसका अनुवाद प्राकृत से किया गया है. वे इस शब्द का इस्तेमाल माफी मांगने के लिए करते हैं. वे अपने मित्रों और रिश्तेदारों को पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन 'मिच्छामी दुक्कड़म कहते हुए अभिवादन करते हैं और क्षमा मांगते हैं. अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से क्षमा मांगते हुए पर्यूषण पर्व का अंतिम दिन मनाएं. एक-दूसरे के लिए अपने मन में कोई कड़वाहट न रखें और इस शुभ समय को अपने करीबियों के साथ बिताएं.