नये साल 2025 की शुरुआत के कुछ दिन शेष बचे हैं. सभी को उस पल का बेसब्री से इंतजार है, जब सारी दुनिया के लोग नये साल का जश्न मनाएंगे. पहली जनवरी से नये साल की शुरुआत होती है, उसी के अनुसार कैलेंडर बदलते हैं. पहली जनवरी सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि नये साल के आगमन का प्रतीक भी है. बता दें कि पहली जनवरी ग्रेगोरियन कैलेंडर की पहली तारीख है, लेकिन जहां तक हिंदू कैलेंडर की बात है तो नया वर्ष पहली जनवरी को नहीं बल्कि हिंदू परंपराओं के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की पहली तिथि को मनाया जाता है,
हिंदू नववर्ष कब है?
सनातन परंपराओं में पहली जनवरी को नया साल मनाने के बजाय हिंदू नये साल का जश्न चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन मनाया जाता है, ठीक उसी तरह जिस तरह ग्रेगोरियन कैलेंडर में पहली जनवरी को नये साल की शुरुआत होती है. हिंदू नव वर्ष शुक्ल पक्ष के पहले दिन मनाया जाता है, जो विक्रम संवत 2082 कैलेंडर वर्ष की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है.
किस दिन मनाया जाएगा हिंदू नव वर्ष 2025
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हिंदू नववर्ष की शुरुआत 30 मार्च 2025, रविवार को होगी, यानी इसी दिन नववर्ष मनाया जायेगा. हिंदी पंचांग के अनुसार यह दिन चैत्र नवरात्रि का पहला दिन है. इस दिन को हम लोग हिंदू नव वर्ष संवत्सर, गुड़ी पड़वा और चेटी चंद जैसे विभिन्न पर्वों के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर लोग नये साल के स्वागत के लिए पूजा-अनुष्ठान एवं प्रार्थना करते हैं. बहुत से लोग नववर्ष के स्वागत स्वरूप नये संकल्प के साथ हवन, रुद्राभिषेक, सत्यनारायण कथा, रामचरितमानस जैसे अनुष्ठान करवाते हैं, ताकि नया साल खुशहाली के साथ बीते.
नव संवत्सर और ग्रेगोरियन कैलेंडर में अंतर
हिंदू पंचांग के अनुसार नव वर्ष को नव संवत्सर कहा जाता है, जो प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. इसके विपरीत, पश्चिमी परंपराएं 1 जनवरी को नए साल के दिन के रूप में चिह्नित करती हैं, जो हर साल उसी तारीख को मनाया जाता है. नव संवत्सर और नव वर्ष न केवल अपनी तिथियों में बल्कि अपने संबंधित वर्षों में भी भिन्न होते हैं. वर्तमान में, ग्रेगोरियन कैलेंडर वर्ष को 2025 के रूप में चिह्नित करता है, जबकि हिंदू पंचांग वर्ष को 2081 के रूप में मान्यता देता है. दोनों कैलेंडर के बीच 57 साल का अंतर है, हिंदू कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है.
हिंदू नववर्ष का इतिहास
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार नववर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है. इसे विक्रम संवत या नवसंवत्सर भी कहते हैं. हिंदू नववर्ष की शुरुआत विक्रमादित्य ने की थी, इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहते हैं. ब्रह्म पुराण के अनुसार इस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना शुरू की थी. इस दिन से सतयुग शुरु हुआ था. मान्यता अनुसार इसी दिन से प्रकृति में नए सिरे से जीवन की शुरुआत होती है और वसंत ऋतु आती है.
इस दिन से पुराने कामकाज को खत्म करके नए कामकाज की रूपरेखा तय की जाती रही है. इसी दिन से पंचांग की भी गणना की जाती है. हिंदू नववर्ष को विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों, गुड़ी पड़वा, उगादी, होला मोहल्ला, युगादि, विशु, वैशाखी, कश्मीरी नवरेह, चेटीचंड, चित्रैय एवं तिरु वीजा नाम से भी जाना जाता है. हिंदू वर्ष चैत्र मास से शुरू होकर फाल्गुन मास तक खत्म होता है.