World TB Day 2019: ट्यूबरक्लोसिस (Tuberculosis) यानी टीबी एक जानलेवा बीमारी (Deadly Disease) है. अगर शुरुआती दौर में इसका इलाज नहीं कराया गया तो इससे मरीज (Patient) की जान भी जा सकती है. एक बार यह बीमारी किसी व्यक्ति को लग गई तो यह धीरे-धीरे मरीज को मौत की तरफ ले जाती है. इस गंभीर बीमारी को तपेदिक, क्षय रोग और यक्ष्मा जैसे नामों से भी जाना जाता है. दुनिया में 6-7 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं और हर साल 25 से 30 लाख लोगों की इससे मौत हो जाती है. टीबी (TB) जैसी बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने और वैश्विक स्तर पर इस महामारी को खत्म करने की कोशिशों को आगे बढ़ाने के मकसद से हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस (World TB Day) मनाया जाता है.
अक्टूबर 2017 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत उन 7 देशों की लिस्ट में शामिल था, जहां टीबी के सबसे ज्यादा मरीज हैं. डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया और साउथ अफ्रीका में टीबी के सबसे ज्यादा मरीज हैं. इन सात देशों में टीबी के मरीजों की संख्या के मामले में भारत सबसे ऊपर है. हालांकि डब्ल्यूएचओ का यह भी कहना है कि दुनिया के सभी देशों में टीबी के मरीजों का अगर सही से इलाज होता रहा तो 2030 तक इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.
खास है विश्व टीबी दिवस 2019 की थीम
विश्व टीबी दिवस को हर साल एक नई थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है. साल 2019 की थीम है 'यह समय है...' (It’s Time...) इस साल की थीम के कई मतलब है, जैसे- यह समय है संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय बैठक में टीबी पर किए गए वादों को पूरा करने का... यह समय है दुनिया को टीबी मुक्त करने का... यह समय है साल 2020 तक 40 मिलियन टीबी के मरीजों के सफल इलाज का... यह समय है आपकी टीबी की स्थिति को जानने का.... और भी बहुत कुछ. यह भी पढ़ें: World Water Day 2019: जल के बिना अधूरी है जीवन की कल्पना, इसलिए वर्ल्ड वाटर डे पर आप भी लें पानी बचाने का संकल्प
टीबी है एक संक्रामक बीमारी
टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो बैक्टीरिया के संक्रमण की वजह से होती है. इसे फेफड़ों का रोग माना जाता है, लेकिन यह रक्त प्रवाह के साथ फेफड़ों से शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है. फेफड़ों से शुरु हुई यह बीमारी हड्डियां, हड्डियों के जोड़, लिम्फ ग्रंथियों, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली में भी फैल सकती है.
टीबी के बैक्टीरिया सांस के जरिए शरीर के अंदर प्रवेश करते हैं. टीबी ग्रसित मरीज के खांसने, बात करने, छींकने या थूकने से बैक्टीरिया हवा में फैल जाते हैं और कई घंटों तक वो हवा में जीवित रह सकते हैं. हवा में फैले ये बैक्टीरिया सांस लेते समय किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और उसे बीमार कर सकते हैं.
कारण-
वैसे तो टीबी के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन अगर शुरुआती दौर में इसकी रोकथाम के लिए प्रयास नहीं किए गए तो यह मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकता है.
- गरीबी के कारण अपर्याप्त व पौष्टिक भोजन की कमी.
- स्वच्छता का अभाव और कम जगह में बहुत लोगों का रहना.
- गाय के दूध को बिना उबाले कच्चा पीने से यह बीमारी हो सकती है.
- टीबी ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में रहना, उसकी वस्तुओं का इस्तेमाल करना.
- टीबी के मरीज के यहां-वहां थूकने से बैक्टीरिया स्वस्थ व्यक्ति को बीमार कर सकते हैं.
- स्लेट फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों की इसका खतरा होता है.
- शराब और सिगरेट पीने से भी इस रोग की चपेट में आया जा सकता है.
लक्षण-
- भूख न लगना या कम लगना.
- अचानक वजन कम हो जाना.
- बेचैनी और सुस्ती छाई रहना.
- सीने में दर्द और थकान महसूस होना.
- हल्का बुखार और रात में पसीना आना.
- खांसी, खांसी में बलगम और बलगम में खून आना.
- गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आना.
- गहरी सांस लेने पर सीने में दर्द होना.
- कमर की हड्डी पर सूजन.
- घुटने में दर्द और उन्हें मोड़ने में परेशानी.
कैसे करें बचाव?
- भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें.
- गंदी और कम रोशनी वाली जगहों पर न जाएं.
- टीबी के मरीज से एक मीटर की दूरी बनाकर रखें
- टीबी के मरीज को मास्क पहनने के लिए कहें.
- मरीज एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर उसे अच्छी तरह बंद करके डस्टबिन में डालें. यह भी पढ़ें: International Day of Forests 2019: क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय वन दिवस, जानिए कैसे जंगलों की लगातार घटती संख्या बन रही है पर्यावरण के लिए एक बड़ी चुनौती
टीबी का इलाज-
- अगर कोई मरीज टीबी ग्र्सत है तो उसके उपचार के लिए सीने का एक्स रे लिया जाता है और उसके बलगम की जांच की जाती है.
- टीबी का इलाज अलग-अलग एंटीबायोटिक्स, एंटीबैक्टीरियल दवाओं के साथ किया जाता है. मरीज को लगातार 6-9 महीने तक दवाइयों का सेवन करना पड़ता है.
- इस बीमारी के इलाज के दौरान मरीज को पौष्टिक आहार लेना चाहिए और शराब व सिगरेट से दूर रहना चाहिए.
- मरीज के साथ-साथ परिवार के लोगों को भी दवा दी जाती है, ताकि मरीज का इंफेक्शन घर के बाकी सदस्यों को न लगे.
गौरलतब है कि इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर और समय पर इलाज कराकर इससे बचना मुमकिन है. इसके साथ ही इस बीमारी को लेकर हर किसी का जागरूक होना भी आवश्यक है, तभी टीबी को मात दिया जा सकता है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को केवल सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसमें दी गई जानकारियों को किसी बीमारी के इलाज या चिकित्सा सलाह के लिए प्रतिस्थापित नहीं किया जाना चाहिए. इस लेख में बताए गए टिप्स पूरी तरह कारगर होंगे या नहीं इसका हम कोई दावा नहीं करते है, इसलिए किसी भी टिप्स या सुझाव को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.