International Day of Forests 2019: क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय वन दिवस, जानिए कैसे जंगलों की लगातार घटती संख्या बन रही है पर्यावरण के लिए एक बड़ी चुनौती
अंतरराष्ट्रीय वन दिवस 2019 (Photo Credits: Pixabay)

International Day of Forests 2019: खूबसूरत हरे-भरे पेड़ (trees) , जहां तक नजर जाए वहां तक हरियाली ही हरियाली (Greenery)  का नजर आना आज के इस आधुनिक दौर में एक सपना सा बनता जा रहा है. दुनिया में जितनी तेजी से आबादी बढ़ रही है उतनी ही तेजी से जंगलों (Forests) का सफाया किया जा रहा है. पेड़-पौधों को काटकर, जंगलों को साफ करके इंसान अपने रहने के लिए आशियाना बना रहे हैं, जो पर्यावरण (Environment) के लिए बड़ी चुनौती और ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का सबसे बड़ा कारण बन रहा है. जंगलों और पेड़-पौधों की घटती संख्या किस तरह से पर्यावरण, जीव-जंतुओं और इंसानों के जीवन के संतुलन को बिगाड़ सकती है. इसकी अहमियत को समझाने के मकसद से ही हर साल 21 मार्च को 'इंटरनेशनल डे ऑफ फॉरेस्ट' यानी 'अंतरराष्ट्रीय वन दिवस' (International Day of Forests) मनाया जाता है.

पेड़ इस संसार के हर एक प्राणी के जीवन में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पेडों से हमें ऑक्सीजन, फल-फूल और भोजन मिलता है. ये हमें तपती धूप में छाया प्रदान कर हमारी थकान दूर करते हैं. पेड़ों की बदौलत ही पर्यावरण में संतुलन बरकरार है और ये ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौती से भी लड़ने में मददगार हैं, इसलिए जंगलों को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है.

इंटरनेशनल डे ऑफ फॉरेस्ट का इतिहास

पर्यावरण के सामने जंगलों की घटती संख्या से उभरते संकट और इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. साल 1971 में यूरोपीय संघ की महासभा ने 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस घोषित किया था. जिसके बाद 28 नवंबर 2012 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को अंतरराष्ट्रीय वन दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया. यह भी पढ़ें: World Environment Day : बदलता मौसम, तपती धरती और पिघलते ग्लेशियर, इंसान के लिए सबसे बड़े खतरे का संकेत

'वन और शिक्षा' है थीम

वनों को बचाने के लिए और धरती को हरा-भरा बनाए रखने के लिए इस दिन को मनाया जाता है. इसके साथ ही हर साल अंतरराष्ट्रीय वन दिवस को एक नए थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है. इस साल की थीम है 'वन और शिक्षा' (Forest and Education). इस थीम के जरिए लोगों को जंगलों की एहमियत और इसके प्रति शिक्षित करने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि आधुनिकीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण पेड़ों की निरंतर कटाई की जा रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 में कुल 7.3 करोड़ एकड़ वन क्षेत्रों का सफाया हुआ है.

ऑक्सीजन चाहिए तो जंगल बचाइए

आपको जानकर हैरानी होगी कि एक औसत आकार का पेड़ एक साल में इतना ऑक्सीजन देता है, जिससे करीब 4 लोग पूरे साल सांस ले सकते हैं. किसी घर या बिल्डिंग के पास लगाए गए 3 पेड़ एयर कंडीशन का खर्च 50 फीसदी तक कम कर सकते हैं. पृथ्वी पर अगर 2 करोड़ पेड़ लगाए गए तो इससे 26 करोड़ टन से भी ज्यादा ऑक्सीजन मिलेगा और ये एक करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने में भी मदद करेंगे. यह भी पढ़ें: World Environment Day 2018 : कोविंद, नायडू, मोदी का प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करने का आग्रह

बिगड़ रहा है प्रकृति का संतुलन

दुनिया भर में तेजी से हो रही जंगलों की सफाई के कारण पेड़-पौधों की दुर्लभ प्रजातियां और जीव-जंतुओं की दुर्लभ प्रजातियां तेजी से विलुप्त हो रही हैं. इसके अलावा पेड़ों की निरंतर घटती संख्या से एक ओर जहां ग्लोबल वार्मिंग की समस्या तेजी से बढ़ रही है तो वहीं पर्यावरण और प्रकृति का संतुलन भी बिगड़ रहा है. नदियां गर्मियों में सूखने लगी हैं और बारिश में कई जगहों पर बाढ़ की नौबत आ जाती है. कभी बेमौसम बारिश तो कभी भीषण अकाल का सामना करना पड़ रहा है. पेड़ों के कम होने और इंडस्ट्रियों के बढ़ने के चलते प्रदुषण का स्तर कंट्रोल से बाहर हो रहा है.

गौरतलब है कि ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरण के असंतुलन से अपने जीवन की रक्षा करने के लिए बेहद जरूरी कि हम जंगलों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाएं और हर साल अपने जन्मदिन पर कम से कम एक पौधा जरूर लगाएं. इसके अलावा पेड़-पौधों की देखभाल अपने परिवार को सदस्यों की तरह करें. खुद भी पेड़-पौधों के महत्व को समझें और दूसरों को भी इसके बारे में जागरूक करें.