संस्कृत दिवस विशेष: इस प्राचीनतम और समृद्धतम भाषा को नासा ने भी माना विज्ञान का आधार
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संस्कृत शब्द सुनते ही सबसे पहले मंत्र हमारे दिमाग में आते हैं. पूजा के वे मंत्र और श्लोक जिनसे बचपन से ही हमारा रिश्ता जुड़ चुका है. इसके अलावा हम शायद ही कुछ संस्कृत के बारे में जानते हों. वर्तमान समय में संस्कृत भाषा मात्र पूजा के वैदिक मन्त्रों, श्लोकों और पौराणिक ग्रंथों में सिमट कर रह गई है. आज रक्षाबंधन के दिन संस्कृत दिवस भी मनाया जाता है. संस्कृत भाषा विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है. भारत में संस्कृत भाषा को सभी भाषाओं की जननी कहा जाता है. भारत में प्राचीन काल में सबसे पहले संस्कृत भाषा ही बोली गई थी. इसे देववाणी अथवा सुरभारती और वैदिक भाषा भी कहा जाता है.

संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं. आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं.

आज के समय में संस्कृत कम बोलने वाली भाषा के रूप में ही रह गई है पर संस्कृत भाषा की महत्ता को कम नहीं आंका जा सकता. संस्कृत भाषा के कारण ही वर्तमान की भाषाओं की उत्पत्ति हुई और व्याकरण का निर्माण हुआ. भारत में सभी स्थानों से यह भाषा लुप्त हो चुकी है और देश के एकमात्र राज्य उत्तराखंड में यह आधिकारिक भाषा है.

आज है संस्कृत दिवस-

संस्कृत दिवस भारत में प्रतिवर्ष 'श्रावणी पूर्णिमा' के दिन मनाया जाता है. श्रावणी पूर्णिमा अर्थात् रक्षाबंधन. इस दिन को ऋषियों के स्मरण तथा पूजा और समर्पण का पर्व माना जाता है. ऋषि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत हैं, इसलिए श्रावणी पूर्णिमा को "ऋषि पर्व" और "संस्कृत दिवस" के रूप में मनाया जाता है.

 

1969 से हुई शुरुआत-

सन्न 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था. तब से संपूर्ण भारत में संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन को इसीलिए चुना गया था कि इसी दिन प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था. इसी दिन वेद पाठ का आरंभ होता था तथा इसी दिन छात्र शास्त्रों के अध्ययन का प्रारंभ किया करते थे. पौष माह की पूर्णिमा से श्रावण माह की पूर्णिमा तक अध्ययन बन्द हो जाता था. प्राचीन काल में फिर से श्रावण पूर्णिमा से पौष पूर्णिमा तक अध्ययन चलता था, इसीलिए इस दिन को संस्कृत दिवस के रूप से मनाया जाता है.

सबसे बड़ा शब्दकोष-

संस्कृत भाषा में प्रत्येक शब्द के लिए कम से कम 25 अन्य शब्द हैं. हाथी शब्द के लिए संस्कृत भाषा में 100 से अधिक पर्यायवाची शब्द हैं. वही अंग्रेजी शब्द लव के लिए भी संस्कृत में 90 से अधिक शब्द और पानी के लिए 70 से अधिक समानार्थी शब्द हैं.

सुधर्मा एक मात्र संस्कृत समाचार पत्र-

सुधर्मा संस्कृत का एकमात्र दैनिक समाचारपत्र है. यह कर्नाटक के मैसूर से प्रकाशित होता है. इसका प्रकाशन 1970 में आरम्भ हुआ था. इसका वितरण मुख्यतः डाक द्वारा होता है. इस समाचार पत्र की अभी 3,000 प्रतियां निकलती हैं और इसकी वार्षिक सदस्यता शुल्क 400 रुपए है. इसका ऑनलाइन संस्करण भी उपलब्ध है.

नासा ने संस्कृत को माना सबसे स्पष्ट भाषा-

नासा के मुताबिक संस्कृत धरती पर बोली जाने वाली सबसे स्पष्ट भाषा है. नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब वो अंतरिक्ष ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे तो उनके वाक्य उलट हो जाते थे. इस वजह से मैसेज का अर्थ ही बदल जाता था. उन्होंने कई भाषाओं का प्रयोग किया लेकिन हर बार यही समस्या आई. आखिर में उन्होंने संस्कृत में मैसेज भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उल्टे हो जाने पर भी अपना अर्थ नही बदलते हैं. जैसे

अहम् विद्यालयं गच्छामि।

विद्यालयं गच्छामि अहम्।

गच्छामिअहम् विद्यालयं ।

उक्त तीनो के अर्थ में कोई अंतर नहीं है।

उत्तराखंड की आधिकारिक भाषा-

उत्तराखंड भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने राज्य की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में संस्कृत को चुना है. उत्तराखंड, जिसे देवभूमि कहा जाता है, प्राचीन और मध्ययुगीन युग के चारों चरम धर्म तीर्थों सहित कई प्रतिष्ठित मंदिरों और मठो का घर है.

कर्नाटक का एक गांव जहां सभी संस्कृत बोलते हैं-

देश में एक ओर जहां संस्कृत मात्र मंत्रों और श्लोकों में सिमट कर रह गई है, वहीं कर्नाटक के एक गांव मत्तुर में संस्कृत आम बोल-चाल की भाषा है.

 संस्कृत नाम चलन में है-

संस्कृत भाषा भले ही सबसे कम बोली जाने वाली भाषा हो पर भारत में लगभग सभी हिन्दू अपने बच्चों के नाम संस्कृत में रखना पसंद करते हैं. भारत में नामों के लिए संस्कृत हमेशा से ही पहली पसंद रही है.  24,821 भारतीयों ने बताई ‘देवभाषा’ संस्कृत को अपनी मातृभाषा, हिंदी नंबर वन पर