Vaman Jayanti 2019: राजा बलि के अत्याचारों से देवताओं को मुक्ति दिलाने के लिए श्रीहरि ने लिया था वामन अवतार, जानें वामन जयंती की कथा, व्रत और पूजा विधि
वामन जयंती 2019 (Photo Credits: Facebook/Instagram)

Vaman Jayanti: भाद्रपद के शुक्लपक्ष की द्वादशी को ‘वामन द्वादशी’ (Vaman Dwadashi) या ‘वामन जयंती’ (Vaman Jayanti) के रूप में मनाया जाता है. हमारे पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इसी शुभ तिथि पर श्रवण नक्षत्र के अभिजित मुहूर्त में श्री विष्णु (Lord Vishnu) ने पृथ्वी पर वामन रूप में अवतार (Vaman Avtar) लिया था. कहा जाता है कि श्रीहरि ने राजा बलि के अत्याचारों से देवताओं को मुक्ति दिलाने के लिए ही वामन अवतार लिया था. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष वामन जयंती, 10 सितंबर 2019 को मनाई जाएगी. यहां जानिये भगवान वामन के व्रत एवं पूजा का महात्म्य तथा वामन अवतार की रोचक कथा..

वामन द्वादशी पर करें ऐसे पूजा

इस शुभ दिन में सभी मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. श्री हरि जी का स्मरण करते हुए उनके अवतारों एवं लीलाओं की कथा सुनी अथवा सुनाई जाती है. कुछ स्थानों पर भागवत कथा का पाठ अथवा प्रवचन आदि का भी आयोजन किया जाता है. वामन जयंती के उपलक्ष्य में भगवान वामन का पंचोपचार अथवा षोडषोपचार पूजन करने के पश्चात चावल, दही एव मिष्ठान इत्यादि का दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. संध्या समय भगवान वामन का विधि पूर्वक पूजन करने के उपरांत श्री वामन अवतार की कथा सुननी चाहिए. मान्यता है कि इस दिन व्रत एवं पूजन करने से भगवान वामन प्रसन्न होते हैं और भक्तों की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.

ठीक उसी तरह जैसे देवताओं को राजा बलि की प्रताड़ना से मुक्ति दिला कर उन्हें दुबारा स्वर्गलोक में रहने का अवसर प्रदान किया था.

वामन जयंती कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता अदिति ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी. तब भगवान विष्णु जी प्रकट होकर उन्हें वरदान दिया कि वे अदिति के पुत्र के रूप में जन्म लेकर राजा बलि का वध कर देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाएंगे. इसके पश्चात श्रीहरि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन अदिति के गर्भ से वामन के रूप में जन्म लिया. कहा जाता है कि जन्म लेने के कुछ ही समय पश्चात श्रीहरि शिशु से युवा के रूप में परिवर्तित हो गये. भगवान वामन ब्राह्मण का रूप धरकर राजा बलि के पास पहुंचे. उस समय राजा बलि यज्ञ कर रहे थे. भगवान वामन यज्ञ स्थल पर पहुंचे. यज्ञ सम्पन्न होने के पश्चात राजा बलि ब्राह्मणों को उनकी इच्छा के अनुरूप दान देना शुरू किया. ब्राह्मण बने भगवान वामन का जब नंबर आया तो उन्होंने कहा कि मुझे तीन पग की जमीन दे दो. यह भी पढ़ें: Parivartini Ekadashi 2019: परिवर्तिनी एकादशी पर शयन करते हुए करवट बदलते हैं भगवान विष्णु, वामन अवतार की होती है पूजा, जानें पूजा विधि और महत्व

राजा बलि ने ब्राह्मण रूप धरकर आये भगवान वामन से कहा कि आप अपनी इच्छानुसार तीन पग जमीन नाप कर ले लीजिये. वामन रूपी श्री हरि ने एक पग में स्वर्ग ओर दूसरे पग में पृथ्वी को माप लिया, अभी तीसरा पग रखना बाकी था. राजा बलि वामन रूपी भगवान श्री हरि को पहचान लिया. उन्होंने वामन महाराज के सामने अपना सर रख दिया. बलि के सर पर पग रखते ही राजा बलि पाताल लोक पहुंच गये. राजा बलि की दान भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रसन्न होकर राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बना दिया. इस तरह भगवान वामन राजा बलि को पाताल लोक में उलझाकर स्वर्ग लोक देवताओं के सुपुर्द कर दिया.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.