सिक्किम को कई नामों से जाना जाता है. यहां के मूल निवासी लेपचास इसे 'ने-माए-एल' कहते हैं, जिसका अर्थ है स्वर्ग. वहीं लिम्बस समुदाय के लोग इसे 'सू खिम' यानी नया घर कहते हैं, जबकि भूतिया समुदाय के लोग इस राज्य को 'बेमुल देमाज़ोंग' कहते हैं, जिसका अर्थ है चावल की छिपी हुई घाटी. सिक्किम पूर्वोत्तर भारत में हिमालय की चोटियों पर बसे सिक्किम में ही दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंघा है. यही नहीं यहां पर कुल 315 ग्लेशियर झीलें हैं। यहां के लोगों के लिए कंचनजंघा महज एक पर्वत नहीं है, बल्कि वे इसे अपने अभिभावक ईश्वर के रूप में पूजते हैं. भारत के इस राज्य में प्राकृतिक सौंदर्य के बीच फूलों की महक एक अलग ही अनुभव प्रदान करती है. यहां के फूलों की खुश्बू तमाम लोगों के रोजगार का साधन है.
16 मई का दिन इस राज्य के लिए बेहद खास है, क्योंकि इसी दिन सिक्किम को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था। एक समय में यह हिमालयी साम्राज्य था और यहां से होते हुए लोग चीन की यात्रा पर जाते थे। 1642 में यहां चोग्याल साम्राज्य था. 1890 में ब्रिटिश शासन में सिक्किम को संरक्षित राज्य घोषित किया गया। यहां पर ब्रिटिश का शासन था, लेकिन उस दौरान यहां चीन और ब्रिटिश इंडिया दोनों का हस्तक्षेप रहता था। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने पर सिक्किम भारत का हिस्सा बना, लेकिन राज्य खुद को भारत से स्वतंत्र मानता रहा. 16 मई 1975 को भारत में विलय होने के बाद इस प्रदेश को एक नई पहचान मिली। वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल ने उस दौरान सिक्किम के भारत में विलय में अहम भूमिका निभाई थी. आज सिक्किम तेज़ी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में से एक है. यह भी पढ़े: Uttar Pradesh Foundation Day 2020: उत्तर प्रदेश की स्थापना के 70 साल, महाराष्ट्र में सबसे पहले मनाया गया था यह दिवस, जानें इसका इतिहास और महत्व
सिक्किम अपनी जैवविविधता के लिए जाना जाता है। यहां का सबसे बड़ा शहर गंगटोक है। गंगटोक यहां की राजधानी भी है। राज्य का पहला एयरपोर्ट- पाकयोंग एयरपोर्ट सितंबर 2018 में बना। इस हवाई अड्डे के बनने के बाद यहां की कनेक्टीविटी बेहतर हो गई। इससे यहां की आर्थिक गतिविधियां भी तेज़ हुई हैं.
राज्य से जुड़े तथ्य
> सिक्किम का क्षेत्रफल 7,096 वर्ग किलोमीटर है.
> यह भारत का दूसरा सबसे छोटा और सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है.
> सिक्किम पश्चिम में नेपाल से, उत्तर में तिब्बत से और पूर्व में भूटान से अपनी सीमाएं साझा करता है।
> यहां नेपाली, भूतिया, लेपचा, लिम्बू, मागर, राय, हिन्दी और अंग्रेजी भाषाएं बोली जाती हैं.
> 2011 के सेंसस के मुताबिक राज्य की साक्षरता दर 81.42 प्रतिशत है.
> यहां के मुख्य उद्योग पर्यटन, कृषि, फूल उत्पादन, एग्रो-प्रोसेसिंग, हाईड्रोइलेक्ट्रिक पावर, चायर, इलायची, खनिज, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्युटिकल हैं.
> भारत से चीन जाने वाली एक मात्र सड़क नाथूला पास सिक्किम में है.
> यहां पर 5000 से अधिक फूलों की प्रजातियां पायी जात हैं.
> बहुत कम पाये जाने वाले ऑर्किड की 515 प्रजातियां यहां पायी जात हैं.
> सिक्किम भारत का पहला पूर्ण जैविक खेती वाला राज्य है. अगस्त 2019 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा राज्य को विश्व का पहला 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक स्टेट घोषित किया गया.
> इसे दुनिया में इलायची के उत्पादन का केंद्र माना जाता है.
> भारत में पैदा होने वाली इलायची का 80 प्रतिशत उत्पादन सिक्किम में होता है.
> सिक्किम की विद्युत क्षमता 674.43 मेगावॉट (फरवरी 2020 का आंकड़ा ) है.
> कुल विद्ययुत क्षमता में 102.25 मेगावॉट थर्मल पावर से आती है, जबकि 530 हाईड्रोपावर से और 52.18 मेगावॉट रिन्युवेबल पावर है.
औद्योगिक विकास और निवेश
डिपार्टमेंट फॉर प्रोमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) के अनुसार सिक्किम में अप्रैल 2000 से सितंबर 2019 तक 5.85 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश हुआ। जनवरी 2019 में भारत सरकार की स्वदेश दर्शन परियोजना के अंतर्गत गंगटोक के लिए 98.05 करोड़ रुपए की विकास योजना की घोषणा की गई.
फूलों के उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने नीदरलैंड्स और थाईलैंड के साथ समझौता किया है। इससे यहां फूलों की खेती करने वाले किसानों से लेकर उनकी मार्केटिंग करने वाले लोगों की आमदनी में इजाफा होगा.
अगस्त 2019 में पहला पीपीई प्रोजेक्ट के अंतर्गत यहां पर ईको एडवेंचर रिसॉर्ट का उद्घाटन किया गया। सिक्किम डेवलपमेंट स्कीम 2017 के तहत यहां पर नए उद्योग लगाने की प्रक्रिया जारी है। यहां पर फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री को बढ़ावा दिया जा रहा है। यहां पर सिप्ला, सन फार्मा, ज़ाइडस केडिला, एलेम्बिक, आईपीसीए, अल्केम लैब, इंटास फार्मा , टोरेंट फार्मा और यूनीकेम की उत्पादन इकाईयां संचालित हैं. 2017-18 में राज्य ने दवाओं और दवाओं के फॉमूले का कुल निर्यात 93.3 लाख डॉलर का किया।
कोविड-19 की वजह से जिस तरह से दुनिया भर में दवाओं की मांग बढ़ी है, उसे देखते हुए साफ है कि आने वाले समय में सिक्किम में निर्मित होने वाली दवाओं का निर्यात बढ़ेगा। चूंकि सभी देश हेल्थकेयर पर ज्यादा जोर दे रहे हैं, इसलिए सिक्किम के लिए निर्यात के बड़े अवसर जल्द आ सकते हैं.