Sankashti Chaturthi 2019: मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की गणेश संकष्टी चतुर्थी का है विशेष महत्व, जानें शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और पूजा विधि
भगवान गणेश (Photo Credits: Instagram)

Sankashti Chaturthi 2019: भगवान गणेश (Lord Ganesh) सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माने जाते हैं, इसलिए सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत से पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. भगवान गणेश अपने भक्तों के जीवन से सभी विघ्नों और संकटों को हर लेते हैं, इसलिए उन्हें विघ्न विनाशक भी कहा जाता है. वैसे तो सप्ताह का हर एक दिन गणेश जी की पूजा के लिए शुभ माना जाता है, लेकिन हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है. हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) कहा जाता है. चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को अति प्रिय है.

भगवान गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है, लेकिन मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन उनकी विधिवत पूजा करने और व्रत रखने से गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वैसे तो हर महीने की संकष्टी चतुर्थी का अपना महत्व होता है, लेकिन मार्गशीर्ष महीने की संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व बताया जाता है. इस साल मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी 15 नवंबर 2019 को पड़ रही है, जिसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है.

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त

चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 15 नवंबर 2019 को शाम 07.46 बजे से,

चतुर्थी तिथि समाप्त- 16 नवंबर 2019 को शाम 07.15 बजे तक.

चंद्रोदय का समय- शाम 07.48 बजे

पूजा विधि

जो लोग अपने जीवन में किसी भी प्रकार के संकटों से घिरे हैं उन्हें पूर्णिमा के बाद चतुर्थी तिथि को आने वाली संकष्टी चतुर्थी के दिन इस विधि से पूजा करनी चाहिए.

⦁ चतुर्थी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें.

⦁ पूर्व या उत्तर दिशा में एक चौकी स्थापित करके उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं.

⦁ चौकी पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें और हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें.

⦁ इसके बाद 'ॐ गं गणपतये नम:' मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें.

⦁ अब उनकी प्रतिमा के सामने शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें.

⦁ फिर दूर्व, फूल, अक्षत, सिंदूर अर्पित करते हुए उन्हें लड्डू और मोदक का भोग लगाएं.

⦁ अब व्रत कथा पढ़ें और 108 बार 'ॐ गं गणपतये नम:' मंत्र का जप करें.

⦁ विधिवत पूजा संपन्न करने के बाद भगवान गणेश की आरती करें.

⦁ इसके बाद शाम के वक्त चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें और लड्डू को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और परिवार वालों को भी दें. यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi 2019: सावन महीने की गणेश संकष्टी चतुर्थी का है खास महत्व, इस व्रत को करने से दरिद्रता होती है दूर

व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक दिन माता पार्वती ने नदी किनारे भगवान शिव के साथ चोपड़ खेलने की इच्छा प्रकट की, लेकिन वहां शिव-पार्वती के अलावा तीसरा कोई नहीं था, जो इस खेल में हार जीत का फैसला कर सके. इस स्थिति में माता पार्वती और शिव जी ने एक मिट्टी की मूर्ति में जान फूंक दी और उसे निर्णायक की भूमिका दी. इस खेल में माता पार्वती विजयी हुईं, लेकिन गलती से बालक ने भगवान शिव को विजयी घोषित कर दिया. इस पर पार्वती उस बालक पर क्रोधित हो गईं.

माता पार्वती ने अपने श्राप से उस बालक को लंगड़ा बना दिया. इसके बाद उस बालक ने माता पार्वती से क्षमा याचना की, लेकिन श्राप को वापस नहीं लिया जा सकता था, इसलिए माता पार्वती ने उससे कहा कि संकष्टी के दिन यहां पर कुछ कन्याएं पूजन के लिए आती हैं, तुम उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछना. इसके पश्चात तुम भी वैसे ही व्रत और पूजन करना. माता पार्वती के कहे अनुसार, उस बालक ने वैसा ही किया और उसकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उसके संकटों को दूर किया और उसे फिर से स्वस्थ कर दिया.

गौरतलब है कि हर महीने पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश का विधि-विधान से पूजन करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है. मान्यता है कि भगवान गणेश भी अपने भक्तों की सारी बाधाओं को दूर करके उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं.