Eid al-Fitr 2019: मुसलमानों के लिए खास होती है ईद-उल-फितर, जानिए चांद के दीदार के बाद ही क्यों मनाई जाती है ईद
नमाज पढ़ते मुसलमान (Photo Credits : PTI)

चांद के दीदार के बिना ईद नहीं हो सकती, चांद निकलने के बाद ही ईद मनाई जाती है. रमजान महीने में 30 रोजे पूरे होने के बाद ही चांद दिखाई देता है. हिजरी कैलेंडर यानि इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार ईद साल में दो बार मनाई जाती है. एक EID ईद-उल-फितर और दूसरी ईद-उल-जुहा. ईद-उल-फितर को सिर्फ ईद या मीठी ईद भी कहते हैं क्योंकि इस दिन घर में मीठी सेवइयां बनाई जाती है. ईद-उल-जुहा को बकरीद भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है, रिश्तेदारों और आस पड़ोस में बकरे की गोश्त बाटी जाती है. ईद-उल-फ़ितर हिजरी कैलंडर के दसवें महीने शव्वाल यानी शव्वाल उल-मुकरर्म की पहली तारीख को मनाई जाती है. यह कैलेंडर चांद पर ही आधारित है. हिजरी कलेंडर के अनुसार नया महीना चांद देखकर ही शुरू होता है. इसलिए शव्वाल महीना भी ‘नया चांद’ देख कर ही शुरू होता है और हिजरी कैलेण्डर के मुताबिक रमजान के बाद आने वाला शव्वाल महीना होता है.

अब जबकि रमजान का मुक़द्दस महीना खत्म होने को है, मुस्लिम समुदाय में ईद उल फितर को लेकर उत्साह का माहौल बना हुआ है. रमजान महीने के आखिर में चांद देखकर ईद उल फितर मनाया जाता है.  इस दिन के लिए मुस्लमान लगातार तीस दिन तक रोजे रखता है और खुद को हर बुरे काम से बचाए रखते हैं. इस महीने में अल्लाह की खूब इबादत की जाती  है.

यह भी पढ़ें: ईद-ए-मिलाद-उन-नबी 2018: जानिए क्यों मनाया जाता है ईद-ए-मिलाद, मुस्लिम समाज में क्या है महत्त्व

ईद उल फितर के दिन मुस्लिम समाज के लोग शहर की किसी बड़ी मस्जिद या खुले मैदान में एक साथ मिल कर एक खास नमाज अदा करते हैं. नमाज के बाद एक-दूसरे को गले मिल कर ईद की शुभकामनाएं देते हैं. ईद के अवसर पर अपने से छोटों में ईदी बांटने का भी रिवाज है. ईद के दिन शीर कोरमा और लजीज पकवान भी बनाए जाते हैं. इस्लाम में गरीब लोगों की मदद करने को बहुत अच्छा काम माना जाता है, इसीलिए ईद का चांद  दिखने के बाद हर मुस्लमान पर यह फर्ज होता है कि वह समाज के गरीब लोगों में फितरा  (आर्थिक सहायता) दें. ताकि वह भी ईद की खुशियों में हिस्सा ले सकें. यह नेक काम ईद की नमाज से पहले करना जरुरी होता है.