Chhath Puja 2022: कौन हैं छठी माता? अस्त एवं उदय होते सूर्य को ही क्यों देते हैं अर्घ्य? जानें 4 दिवसीय छठ-पूजा के नहाय खाय, खरना और सूर्य को अर्घ्य देने की तिथि और विधि?
छठ पूजा(Photo Credits: Wikimedia Commons)

इस साल छठ पूजा का महापर्व 28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार से शुरू हो रहा है. बिहार के सबसे प्रमुख पर्व के इस अवसर पर भगवान सूर्य और देवी छठी माता की उपासना की जाती है, जिसमें माता-पिता अपनी संतान की सेहत, दीर्घायु एवं हर क्षेत्र में सफलता प्राप्ति के लिए 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास रखते हैं. कार्तिक मास शुक्लपक्ष की चतुर्थी को पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य एवं चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व 28 अक्टूबर 2022 से 31 अक्टूबर 2022 तक चलेगा. आइये जानें कौन हैं माता छठी तथा चार दिन के इस पर्व में कब क्या क्या करना है.

अस्त एवं उदय होते सूर्य को ही क्यों देते हैं अर्घ्य?

पुराणों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की छठी के दिन सूर्यदेव पत्नी संज्ञा के साथ अपने ससुराल गये थे. लौटते समय विश्वकर्मा ने अपनी बेटी-दामाद की धूमधाम से विदाई की. इन्हीं संज्ञा को छठी माता के रूप में पूजा जाता. छठ पूजा में सूर्यास्त एवं सूर्योदय के समय अर्घ्य देने का आशय यह है कि सूर्य देव संध्याकाल में अपने ससुराल गए थे. रात भर विश्वकर्मा का आतिथ्य स्वीकार किया. प्रातःकाल विश्वकर्मा एवं उनकी पत्नी ने पुत्री एवं दामाद की फल, मिष्ठान देकर विदाई किया. छठ-पूजा में ठेकुआ, फल इत्यादि इसलिए चढ़ाते हैं. आज भी गांवों में बेटी-दामाद की विदाई के समय माता-पिता ठेकुआ, फल आदि के साथ विदाई करते हैं.

कौन हैं छठी माता?

पुराणों में कहीं सूर्य की पत्नी संज्ञा को छठी माता कहा गया है तो कहीं कार्तिकेय की पत्नी को. श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार, प्रकृति के छठे अंश से प्रकट 16 मातृकाओं (माताओं) में प्रसिद्ध षष्ठी देवी (छठी मैया) को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री बताया गया है, तथा सूर्य की 6 प्रमुख रश्मियां दहनी, पचनी, धुमरा, कर्शनी, वर्षिनी और रसा मानी गई हैं. इन्हीं छ: रश्मियों का संयुक्त रूप छठी मैया बताई गई हैं.

छठी माता एवं सूर्य पूजा का विस्तृत कार्यक्रम

28 अक्टूबर 2022 शुक्रवार: ‘नहाय खाय’

कार्तिक शुक्ल पक्ष के चौथे दिन (26 अक्टूबर 2022) नहाय खाय का कार्यक्रम होगा. इस दिन स्नानादि के पश्चात पूरे घर की विशेष साफ-सफाई की जाती है. इस दिन प्रसाद के रूप में चने की दाल, लौकी की सब्जी, और भात (चावल) बनता है और व्रती के साथ पूरा परिवार इस प्रसाद का सेवन करता है. प्रसाद होने के कारण खाने में सेंधा नमक डाला जाता है.

29 अक्टूबर 2022, शनिवार: ‘खरना’

‘नहाय खाय’ के पश्चात अगले दिन (27 अक्टूबर 2022) ‘खरना’ की परंपरा निभाई जाती है. इस दिन व्रती महिलाएं गुड़ का खीर बनाती हैं. रात में व्रत रखने वाले पति-पत्नी पहले इसका सेवन करते हैं, इसके बाद परिवार के शेष लोगों को यह प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. इसके साथ ही निर्जला व्रत शुरू हो जाता है, जो लगभग 36 घंटे तक निर्विरोध चलता है.

30 अक्टूबर 2022, रविवारः ‘अस्त होते सूर्य को अर्घ्य’

छठ का यह मुख्य दिन होता है, जब व्रती को पूरे दिन निर्जला व्रत रखना होता है. संध्याकाल में किसी नदी अथवा तालाब के पानी में खड़े होकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. अगर नदी तालाब की व्यवस्था नहीं है तो घर की छत पर पानी भरे बड़े टब में खड़े होकर अर्घ्य दिया जा सकता है. इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 05.37 बजे बताया जा रहा है.

31 अक्टूबर 2022, सोमवार ‘उदय होते सूर्य को अर्घ्य’

चौथे दिन सूर्योदय के समय व्रती दम्पति पानी में खड़े होकर उदय होते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और सूर्योपासना करते हैं. इसके बाद व्रती व्रत का पारण करता है. प्राप्त सूचना के अनुसार इस प्रातः 06.31 बजे सूर्योदय होगा.

इसके साथ ही छठ 2022 का महापर्व सम्पन्न होगा.