
108 साल की उम्र में न आंखों में चश्मा, ना ही लाठी का सहारा या फिर कमजोरी की शिकायत. जापान की शितसुई हाकोइशी बुढ़ापे में भी अपना काम बेहद सलीके से करते हुए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दाखिल हो गई हैं.10 नवंबर 1916 में पैदा हुई शितसुई हाकोइशी, अब दुनिया की सबसे उम्रदराज नाई हैं. 108 साल की उम्र में भी अपने सैलून में उनकी अंगुलियां तेजी से कैंची चलाती हैं. शुक्रवार को उन्हें दुनिया की सबसे उम्रदराज नाई का सर्टिफिकेट दिया गया. यह प्रमाण पत्र गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने दिया.
इस मौके पर पत्रकारों से बात करते हुए हाकोइशी ने कहा कि यह सर्टिफिकेट बीते नौ दशकों के उनके सभी ग्राहकों को समर्पित है, "मैं इतनी दूर तक अपने ग्राहकों की बदौलत ही पहुंची हूं."
पूर्वी जापान के नाकागावा कस्बे में हुए अवॉर्ड समारोह में वह अपनी 85 साल की बेटी और 81 साल के बेटे के साथ आई थीं. वह अभी काफी स्वस्थ नजर आती हैं. इस दौरान शितसुई ने कहा, "मैं बहुत ही खुश हूं. मेरा दिल आनंद से भरा है."
उनसे पहले सबसे उम्रदराज नाई का खिताब एंथनी मानसिनेली के नाम था. वह न्यूयॉर्क में काम करते थे. 107 की उम्र तक काम करने वाले मानसिनेली अब इस दुनिया में नहीं हैं.
क्या क्या देखा 108 साल की हाकोइशी ने
हाकोइशी बताती हैं कि उन्होंने बाल काटने का काम 14 साल की उम्र में टोक्यो में सीखना शुरू किया. 20 की उम्र में उन्हें पेशवर नाई का सर्टिफिकेट मिल गया. इसके बाद उनकी शादी हो गई और फिर पति पत्नी ने टोक्यो में ही एक हेयर कटिंग सैलून खोला. 1937 में शुरू हुए जापान चीन युद्ध के दौरान हाकोइशी के पति को लड़ने के लिए सेना में शामिल कर लिया गया. भीषण जंग में वह मारे गए.
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इस धक्के के बाद हाकोइशी ने दोनों बच्चों को लालन पालन अकेले किया और टोक्यो में अपना सैलून भी संभाला. लेकिन कोशिशें भी अगली जंग की भेंट चढ़ गईं. दूसरे विश्वयुद्ध को याद करते हुए वह कहती हैं, "टोक्यो पर अमेरिकी सेना की बमबारी से हमारा घर राख में तब्दील हो गया."
जान बचाने के लिए हाकोइशी बच्चों के साथ टोक्यो से अपने गांव नाकागावा लौटीं. फिर आठ साल के इंतजार के बाद उन्होंने नाकागावा में रिहात्सु हाकोइशी नाम का सैलून खोला. जापानी भाषा में रिहात्सु का अर्थ नाई होता है.
हाकोइशी से जब आगे के जीवन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पहले तो इस साल 109वां जन्मदिन है और फिर "110 तक कड़ी मेहनत से काम करना है."
ओएसजे/आरपी (एएफपी, एपी)