विकाश यादव एक पूर्व अधिकारी हैं, जो भारत की खुफिया एजेंसी रीसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के साथ काम कर चुके हैं. उनकी पहचान हरियाणा के प्राणपुरा में जन्मे एक व्यक्ति के रूप में हुई है, जो 11 दिसंबर 1984 को जन्मे थे. वह कैबिनेट सचिवालय में कार्यरत थे, जो रॉ को नियंत्रित करता है.
अमेरिका में हत्या के प्रयास का मामला
हाल ही में, अमेरिका के न्याय विभाग ने विकाश यादव के खिलाफ एक आरोपपत्र जारी किया है, जिसमें उन्हें खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के प्रयास से संबंधित मामले में वांछित बताया गया है. अमेरिका की संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने यादव पर हत्या की साजिश, हत्या के लिए धन की व्यवस्था करने और मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश का आरोप लगाया है.
अधिकारियों की जानकारी और गिरफ्तारी का वारंट
एफबीआई ने 10 अक्टूबर 2024 को यादव के खिलाफ एक संघीय गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. इससे पहले, 2023 में उन्हें 'CC-1' के रूप में संदर्भित किया गया था. हाल ही में, न्याय विभाग ने एक दूसरा अदालती दस्तावेज पेश किया, जिसमें विकाश यादव का नाम स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया.
Pic1- NIA most-wanted list- designated terrorist Gurpatwant Singh Pannun
Pic2- FBI wanted list- (reportedly) ex-RAW Vikash Yadav, alleged plot to eliminate Pannun.
Don't have to be LW/RW to decide which side you are. Its plain and simple! pic.twitter.com/Q013ryQTjK
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) October 18, 2024
गिरफ्तारी की योजना और धन की व्यवस्था
रिपोर्ट्स के अनुसार, यादव ने निखिल गुप्ता नामक 'साजिशकर्ता' को भर्ती किया था, जो वर्तमान में अमेरिका की जेल में है. गुप्ता ने अपने खिलाफ लगे आरोपों से 'निष्क्रिय' रहने की अपील की है. एफबीआई का कहना है कि यादव और गुप्ता ने हत्या के प्रयास से पहले न्यूयॉर्क में 15,000 अमेरिकी डॉलर लाने की व्यवस्था की थी.
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि जो व्यक्ति अमेरिका में पन्नू मामले में आरोपित है, वह अब भारतीय सरकार के साथ कार्यरत नहीं है. MEA के प्रवक्ता रंधीर जैस्वाल ने स्पष्ट किया कि अमेरिका द्वारा बताए गए व्यक्ति का भारतीय सरकार के साथ कोई संबंध नहीं है.
वर्तमान स्थिति
विकाश यादव फिलहाल 'लापता' हैं और एफबीआई ने उनकी गिरफ्तारी के लिएWanted poster जारी किया है. इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचा है और यह संकेत करता है कि भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ रही है.
इस प्रकरण में कई सवाल उठते हैं, और आगे की जांच से स्थिति स्पष्ट हो सकती है कि विकाश यादव की गिरफ्तारी कब होगी और क्या वे अपने खिलाफ लगे आरोपों का सामना कर पाएंगे.