What Is E-Rupee: सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency) को शॉर्ट में ई-रुपी कहा जाता है. यह कागज करेंसी का डिजिटल रूप है. इसकी वैल्यू मौजूदा करेंसी के बराबर ही होती है. यह क्रिप्टो करेंसी की तरह ब्लॉक-चेन टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है. यह 100, 200 या 500 रुपए के नोट की तरह ही सरकार का एक लीगल टेंडर है, जिसे कोई लेने से इनकार नहीं कर सकता है. ई- रुपी को मोबाइल वॉलेट में ही रखा जा सकता है. इसे रखने के लिए बैंक खाते की जरूरत नहीं होती है. ये दो तरह की है- CBDC होलसेल और CBDC रिटेल. New UPI Transaction Limits: अब इन जगहों पर यूपीआई से कर सकेंगे 5 लाख रुपये तक का पेमेंट.
ई-रुपी कैसे काम करता है?
ई-रुपी मूल रूप से एक डिजिटल वाउचर है जो एक यूजर को उसके फोन पर एसएमएस या क्यूआर कोड के रूप में मिलता है. यह एक प्रीपेड वाउचर है, जिसे वह किसी भी केंद्र पर, जो इसे स्वीकार करता है, जाकर उसका उपयोग कर सकता है. इस प्रकार ई-रुपी एक बार का कॉन्टैक्टलेस , कैशलेस वाउचर-आधारित भुगतान का तरीका है जो उपयोगकर्ताओं को कार्ड, डिजिटल भुगतान ऐप या इंटरनेट बैंकिंग तक पहुंचे बिना वाउचर भुनाने में मदद करता है.
उदाहरण के लिए, यदि सरकार किसी अस्पताल में किसी कर्मचारी के विशेष उपचार को कवर करना चाहती है, तो वह भागीदार बैंक के माध्यम से निर्धारित राशि के लिए ई-रूपी वाउचर जारी कर सकती है. कर्मचारी को उसके फीचर फोन/स्मार्ट फोन पर एक एसएमएस या एक क्यूआर कोड प्राप्त होगा. वह निर्दिष्ट अस्पताल में जा सकते हैं, सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं और अपने फोन पर प्राप्त ई-रूपी वाउचर के माध्यम से पेमेंट कर सकते हैं.
ई-रुपी कैसे फायदेमंद है?
ई-रुपी के लिए लाभार्थी के पास बैंक खाता होना आवश्यक नहीं है, जो अन्य डिजिटल भुगतान माध्यमों की तुलना में इसकी एक प्रमुख विशिष्टता है. यह एक आसान, संपर्क रहित भुगतान पाने की दो-चरणीय प्रक्रिया सुनिश्चित करता है जिसमें व्यक्तिगत विवरण साझा करने की भी आवश्यकता नहीं होती है.
एक अन्य लाभ यह भी है कि ई-रुपी बुनियादी फोन पर भी संचालित होता है, इसलिए इसका उपयोग उन लोगों द्वारा भी किया जा सकता है जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है या उन जगहों पर जहां इंटरनेट कनेक्शन कमजोर है.
UPI से कैसे अलग है ई-रुपी
यूपीआई में आपको बैंक अकाउंट की जरूरत पड़ती है जबकि ई-रुपी भेजने के लिए बैंक अकाउंट की जरूरत नहीं पड़ती है. ई-रुपी कैश करेंसी का ही डिजिटल करेंसी है. जिस तरह से आप कैश किसी भी दुकानदार को देते है तो उसका किसी भी तरह का कोई रिकॉर्ड नहीं होता कि किस व्यक्ति ने किस दुकानदार को कितना रुपया कैश दिया ठीक उसी तरह ई-रुपी भी अगर आप किसी को देते हैं तो आरबीआई के मुताबिक आरबीआई लोअर ई-रुपी अमाउंट को ट्रैक नहीं करेगा.
जबकि अगर आप यूपीआई से ट्रांजैक्शन का सारा डेटा उस कंपनी (गूगल पे, फोन पे, पेटीएम, इत्यादि) के पास होता है जिसका इस्तेमाल आप पैसे भेजने के लिए कर रहे हैं.