
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए नए टैरिफ शुल्कों का भारत पर गहरा असर पड़ने वाला है. इन शुल्कों के तहत भारतीय सामानों को अमेरिकी बाजार में पहले से अधिक शुल्क का सामना करना पड़ेगा. ट्रंप ने भारत पर 27% का टैरिफ शुल्क लगाया है, जो भारतीय सामानों पर पहले से लागू शुल्कों के ऊपर होगा. रिपोर्ट के अनुसार, भारत को अपने निर्यात पर अमेरिका में 2.7% शुल्क देना पड़ता है, जबकि अमेरिका के निर्यात पर भारत में 10.5% शुल्क लगता है. यानी अब भारतीय निर्यात को अमेरिकी बाजार में पहले से अधिक शुल्क देना पड़ेगा, जबकि अमेरिका के निर्यात पर भारत में शुल्क वही रहेगा.
क्या इससे भारत का अमेरिकी बाजार में निर्यात घटेगा?
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यातक बाजार है, और भारत का अमेरिका के साथ निर्यात का संतुलन भारतीय व्यापार घाटे को कम करने में अहम भूमिका निभाता है. इससे यह सवाल उठता है, कि क्या इन शुल्कों से भारत का अमेरिकी बाजार में निर्यात कम हो जाएगा? इसका उत्तर दो महत्वपूर्ण बातों पर निर्भर करेगा, जो समय के साथ बदल सकती हैं. ट्रंप प्रशासन ने न केवल भारत, बल्कि अन्य देशों के शुल्क भी बढ़ाये हैं, इसलिए यह भी देखना होगा, कि अन्य देशों पर इन शुल्कों का क्या असर पड़ा है.
सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सामानों के निर्यात पर इसका असर विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकता है. उदाहरण के लिए, ऊर्जा निर्यातों पर कुछ समस्याएं आ सकती हैं, जबकि वस्त्र निर्यात में कुछ अवसर उत्पन्न हो सकते हैं, और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में स्थिति जस की तस रह सकती है.
भारत की प्रतिक्रिया और भविष्य की संभावना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी में अमेरिका दौरे के दौरान जो बुनियादी समझ बनाई थी, भारत उसी के आधार पर आगे बढ़ रहा है. दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में आने वाले समय में और भी विस्तृत बातचीत हो सकती हैं, जिससे स्थिति में बदलाव हो सकता है. अभी तक भारत ने ट्रंप प्रशासन के इन शुल्कों पर सतर्क प्रतिक्रिया दी है.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था और रुपये की स्थिति का असर
भारत का निर्यात सिर्फ शुल्कों से ही प्रभावित नहीं होगा, बल्कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति और रुपये की अमेरिकी डॉलर के मुकाबले स्थिति भी इसका असर डाल सकती है. अगर अमेरिका की अर्थव्यवस्था इन शुल्कों के कारण कमजोर होती है, तो इसका असर भारत के निर्यात पर पड़ सकता है. इसके अलावा, रुपये की कीमत में उतार-चढ़ाव भी भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित कर सकता है.
क्या भारत को नुकसान होगा?
भारत को उम्मीद है, कि इस संकट का कोई मैत्रीपूर्ण समाधान निकाला जाएगा. हालांकि, इस स्थिति का समाधान कुछ खर्चीला हो सकता है, खासकर अगर भारत को अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क कम करने या अमेरिका से सस्ते उत्पादों को खरीदने का वचन देना पड़े, जो वैश्विक बाजार में सस्ते विकल्पों से मुकाबला कर रहे हैं. ऐसे में भारत को कुछ लागत का सामना करना पड़ सकता है, खासतौर पर जब प्रतिस्पर्धी बाजारों में कीमतें घट रही हैं.
कुल मिलाकर, ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ शुल्कों से भारत को अमेरिकी बाजार में उच्च शुल्कों का सामना करना पड़ेगा. हालांकि, भारत की प्रतिक्रिया और दोनों देशों के बीच संभावित व्यापार समझौते से स्थिति में बदलाव हो सकता है. इस समय भारत को अपनी निर्यात रणनीति को अन्य वैश्विक बाजारों पर केंद्रित करते हुए व्यापार संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता होगी.
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