तीन तलाक बिल लोकसभा में हुआ पास, कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने किया वॉकआउट
लोकसभा में पास हुआ तीन तलाक बिल (Photo Credits: ANI)

मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (Triple Talaq) पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाए गए ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक’ को लोकसभा (Lok Sabha) की मंजूरी मिल गई. विधेयक में सजा के प्रावधान का कांग्रेस  (Congress) सहित कई विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया और इसे संयुक्त प्रवर समिति में भेजने की मांग की. हालांकि सरकार ने स्पष्ट कि यह विधेयक किसी को निशाना बनाने के लिए नहीं बल्कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लाया गया है. सदन ने एन. के. प्रेमचंद्रन के सांविधिक संकल्प और कुछ सदस्यों के संशोधनों को नामंजूर करते हुए महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 को मंजूरी दे दी.

विधेयक पर वोटिंग के दौरान इसके पक्ष में 245 वोट और विपक्ष में 11 मत पड़े. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के विधेयक पर चर्चा के जवाब के बाद कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, टीडीपी, अन्नाद्रमुक, टीआरएस, एआईयूडीएफ ने सदन से वॉकआउट किया. अब इस बिल को मंजूरी के लिए राज्यसभा (Rajya Sabha) में पेश किया जाएगा. इसके बाद यह कानून का रूप ले पाएगा. यह भी पढ़ें- बीजेपी के लिए साल 2018: त्रिपुरा में ढहाया लेफ्ट का किला तो इन राज्यों में गई सरकार

गौरतलब है कि मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक पहले लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में यह पारित नहीं हो सका था. विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने शायरा बानो बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले तथा अन्य संबद्ध मामलों में 22 अगस्त 2017 को 3:2 के बहुमत से तलाक ए बिद्दत (एक साथ और एक समय तलाक की तीन घोषणाएं) की प्रथा को समाप्त कर दिया था जिसे कुछ मुस्लिम पतियों द्वारा अपनी पत्नियों से विवाह विच्छेद के लिए अपनाया जा रहा था.

इसमें कहा गया है कि इस निर्णय से कुछ मुस्लिम पुरूषों द्वारा विवाह विच्छेद की पीढ़ियों से चली आ रही स्वेच्छाचारी पद्धति से भारतीय मुस्लिम महिलाओं को स्वतंत्र करने में बढ़ावा मिला है. यह अनुभव किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को प्रभावी करने के लिए और अवैध विवाह विच्छेद की पीड़ित महिलाओं की शिकायतों को दूर करने के लिये राज्य कार्रवाई अवश्यक है. ऐसे में तलाक ए बिद्दत के कारण असहाय विवाहित महिलाओं को लगातार उत्पीड़न से निवारण के लिये समुचित विधान जरूरी था. लिहाजा मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 को दिसंबर 2017 को लोकसभा में पुन: स्थापित किया गया और उसे पारित किया गया था. यह भी पढ़ें- साल 2018 के ऐसे 5 विवादित बयान, जिसने देश की राजनीति में मचाई हलचल

संसद में और संसद से बाहर लंबित विधेयक के उपबंधों के विषय में चिंता व्यक्त की गई थी. इन चिंताओं को देखते हुए अगर कोई विवाहित मुस्लिम महिला या बेहद सगा (ब्लड रिलेशन) व्यक्ति तीन तलाक के संबंध में पुलिस थाने के प्रभारी को अपराध के बारे में सूचना देता है तो इस अपराध को संज्ञेय बनाने का निर्णय किया गया है. मजिस्ट्रेट की अनुमति से ऐसे निबंधनों की शर्त पर इस अपराध को गैर जमानती और संज्ञेय भी बनाया गया है.

एजेंसी इनपुट