आदिवासियों और दलितों ने 5 मार्च को भारत बंद का ऐलान किया है. इस बंद का असर अब नजर आने लगा है. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सपा के कार्यकर्ताओं ने इलाहाबाद से लखनऊ जाने वाली गंगा गोमती एक्सप्रेस ट्रेन को रोक दिया है. जानकारी के मुताबिक, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में आदिवासी शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. यह बंद विवि में 13 प्वाइंट रोस्टर लागू करने के विरोध में किया गया है.
बता दें कि 5 मार्च के भारत बंद की प्रमुख मांगों में उच्च शिक्षण संस्थानों की नियुक्तियों में 13 प्वाइंट रोस्टर की जगह 200 प्वाइंट रोस्टर लागू करने, शैक्षणिक व सामाजिक रूप से भेदभाव, वंचना व बहिष्करण का सामना नहीं करने वाले सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान रद्द करने, आरक्षण की अवधारणा बदलकर संविधान पर हमले बंद करने, देश भर में 24 लाख खाली पदों को भरने, लगभग 20 लाख आदिवासी परिवारों को वनभूमि से बेदखल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरी तरह निरस्त करने के लिए अध्यादेश लाने, पिछले साल 2 अप्रैल के भारत बंद के दौरान बंद समर्थकों पर दर्ज मुकदमे व रासुका हटा कर उन्हें रिहा करने आदि मांगें शामिल हैं.
दरअसल, 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 16 भारतीय राज्यों में वन भूमि से 10 लाख से ज्यादा आदिवासियों और अन्य पारंपरिक वन वासियों को वन भूमि अधिकारों से बेदखल करने का आदेश दिया था. वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) के बचाव में केंद्र सरकार के असफल होने के बाद यह कदम उठाया गया. इस बाबत लिखित आदेश 20 फरवरी को जारी किया गया था.
Modi government’s decision to abolish 13 point roster & approval of 10% quota to the EWS in the General category is not in line with the principle of affirmative action in the Constitution. RSS is hell bent on scrapping the reservation of SC/ST & OBCs. #5MarchBharatBandh pic.twitter.com/ItKlnpYBaG
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) March 4, 2019
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कई राज्यों से 10 लाख से भी अधिक आदिवासी अपने घरों से बेघर हो जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश तब सुनाया जब उसने वन अधिकार अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई की. दरअसल, वन्यजीव कार्यकर्ताओं के एक समूह ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि पारंपरिक वन भूमि पर जिनके दावे खारिज किए गए हैं, उन्हें राज्य सरकारों द्वारा भी खारिज कर दिया जाना चाहिए.