पटना, 21 अगस्त : आरक्षण के मुद्दे पर देशभर में आंदोलन चल रहा है. इसे लेकर बुधवार को भारत बंद का भी आह्वान किया गया है. बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. तेजस्वी ने कहा कि हम लगातार कहते आ रहे हैं कि केंद्र सरकार आरक्षण के खिलाफ है और अब इसकी तस्वीर भी सामने आ रही है, आज हमने उसी का विरोध किया है.
इस दौरान तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ-साथ चिराग पासवान पर भी निशाना साधा और कहा कि क्या ये लोग और इनके परिवार के अन्य सदस्य आरक्षण का लाभ नहीं ले रहे हैं. सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करने से काम नहीं चलेगा, हमें हकीकत की बात करनी होगी. बिहार में बढ़ते अपराध पर उन्होंने कहा कि हर दिन बिहार के अलग-अलग जिलों में अपराधी बिना किसी डर के खुलेआम अपराध कर रहे हैं. कल का ही उदाहरण लें, हाजीपुर में एक जनप्रतिनिधि को हथियारबंद अपराधियों ने एक-दो नहीं बल्कि पांच गोलियां मारकर हत्या कर दी. हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछना चाहते हैं कि क्या यही आपका सुशासन है. यह भी पढ़ें : जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन की जांच के लिए कमान एवं नियंत्रण केंद्र स्थापित
उन्होंने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री थक चुके हैं और अब उनमें सरकार चलाने की क्षमता नहीं रही. चंद अधिकारी और अपराधी वर्ग के लोग सरकार चला रहे हैं. बता दें कि अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित और आदिवासी संगठनों ने बुधवार को 'भारत बंद' का आयोजन किया. यूपी में सपा, बसपा, आजाद पार्टी समेत तमाम संगठनों ने भारत बंद को अपना समर्थन दिया.
लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर बसपा कार्यकर्ताओं ने अंबेडकर प्रतिमा के पास विरोध-प्रदर्शन किया. इस दौरान उनके हाथों में आरक्षण बचाने को लेकर बैनर-पोस्टर भी देखने को मिला. प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं. इस दौरान प्रदर्शनकारियों के 'अभी तो ये अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है' जैसे नारे लगाते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बहन जी (मायावती) के निर्देश पर समाज के लोग एकत्रित हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सरकार ने बैक डोर से लागू करवाया. सरकार को चाहिए कि वह इस पर अध्यादेश लाए और इसे संविधान की नौवीं सूची में डालें, ताकि कोई भी कोर्ट इसके खिलाफ फैसला न दे सके. दलितों को संविधान के तहत जो मूल आरक्षण मिला है, वही हमें चाहिए.