Supreme Court Rebuked Yogi govt: उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में एक आवासीय मकान और दुकान को अवैध रूप से ध्वस्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने इस कार्रवाई को "अत्याचारपूर्ण" बताते हुए सरकार को जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के भी निर्देश दिया है. इसके अलावा पीड़ित को 25 लाख रुपये का जुर्माना मुआवजा देने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार की इस कार्रवाई को कानून व्यवस्था का उल्लंघन बताया.
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा, "आप लोगों के घरों को इस तरह कैसे ध्वस्त कर सकते हैं? यह कानून का मखौल है. बिना किसी नोटिस के लोगों के घरों में घुसकर तोड़फोड़ की गई."
ये भी पढें: UP: योगी सरकार के इस फैसले से मोटे अनाज बोने वाले किसानों की होगी बल्ले-बल्ले
याचिकाकर्ता का कहना था कि सरकार ने बिना किसी उचित प्रक्रिया के उनकी संपत्ति को "अतिक्रमण" करार देकर ध्वस्त कर दिया, जबकि इस क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग विस्तार के नाम पर अनियमितताएं हो रही थीं. सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी गई कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की रिपोर्ट के अनुसार ध्वस्तीकरण का क्षेत्र अतिक्रमण के कथित क्षेत्र से कहीं अधिक था.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा, "हम राज्य सरकार को निर्देश देते हैं कि पीड़ित को मुआवजा दिया जाए और इस मामले की पूरी जांच कराई जाए. इसमें उन सभी अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई की जाए जो इस अवैध ध्वस्तीकरण के लिए जिम्मेदार हैं." सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से यह भी पूछा कि जब सड़क विस्तार का काम किया जा रहा था तो क्या राज्य ने सड़क की मौजूदा चौड़ाई का कोई सर्वेक्षण किया था? अगर अतिक्रमण पाया गया, तो क्या उचित नोटिस देकर निवासियों को अपनी बात रखने का मौका दिया गया?
इस मामले में अदालत ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि भविष्य में कोई भी सड़क चौड़ीकरण कार्य बिना उचित प्रक्रिया के न किया जाए.