नई दिल्ली: राम जन्मभूमि मसले को लेकर देश की सुप्रीम कोर्ट (SC) 28 सितंबर को अपना फैसला सुना सकती है. मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं इस पर अपना सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकती है. लेकिन इस बीच एक बार फिर से बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) का राग अलापा है. स्वामी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके हक़ में नहीं आता है तो संसद से इसका रास्ता निकाला जाएगा.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर यह फैसला करेंगे कि इस मामले को संवैधानिक पीठ को भेजा जाए या नहीं. 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने बहस के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. यह भी पढ़े-सुब्रमण्यम स्वामी ने इमरान खान को बताया मोहम्मद गोरी, कहा- ताजपोशी में जाने वाले गद्दार
At least 2 years are needed for a decision by 7-judge bench on whether Masjid is an essential part of Islam. Why should we wait for so long? Because, in the end,the SC isn't supreme in Constitution. SC is a pillar,& another pillar is Parliament: S Swamy on his tweet on Ram temple pic.twitter.com/9G1hIyHv1r
— ANI (@ANI) September 24, 2018
शिया वक्फ बोर्ड ने अदालत में अगस्त 2017 में कहा था कि जमीन के जिस हिस्से में मस्जिद था वहां राम मंदिर (Ram Mandir) बनवाया जा सकता है. इसके बाद नवंबर 2017 में शिया वक्फ बोर्ड ने कहा कि राम मंदिर अयोध्या में और मस्जिद लखनऊ में बना लेना चाहिए. यह भी पढ़े-सुब्रमण्यम स्वामी बोले- नशे के आदि है राहुल गांधी, डोप टेस्ट में हो जाएंगे फेल
बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने कहा, 'मस्जिद इस्लाम का जरूरी हिस्सा है या नहीं, इसपर 7 जजों की बेंच फैसला आने में कम से कम 2 साल की जरूरत होगी. सवाल यह है कि हमें इतने लंबे समय तक इंतजार क्यों करना चाहिए. क्योंकि आखिर में सुप्रीम कोर्ट संविधान से ऊपर नहीं है. सुप्रीम कोर्ट एक स्तम्भ है और दूसरा स्तम्भ संसद है.'
उन्होंने आगे कहा अगर संसद संविधान के खिलाफ गलत कानून बनाता है तो सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम बन जाता है. लेकिन कानून बनाने का अधिकार संसद के साथ है. मैंने कहा कि हमें संसद का मार्ग चुनना चाहिए. मैंने ये कहा कि हमें वो रूट लेना चाहिए.
PTs: Tighten your seatbelt SC to pronounce whether 5 judge Bench judgment that masjid is not an essential part of Islam needs to be reconsidered by a 7 Bench judgment. If No, then we are on our way to Ram Temple. If Yes then we try Parliament
— Subramanian Swamy (@Swamy39) September 24, 2018
गौरतलब है कि मस्जिद में नमाज पढ़ने को लेकर सुप्रीम कोर्ट 28 सितंबर को अपना फैसला सुना सकता है. 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस पर फैसला सुरक्षित रखा था कि संविधान पीठ के 1994 के फैसले पर फिर विचार करने की जरूरत है या नहीं.