नई दिल्ली. राज्यसभा (Rajya Sabha) में सोमवार तीखी बहस के बाद आखिरकार जम्मू-कश्मीर में आरक्षण संशोधन बिल को मंजूरी मिल गई. इसके साथ ही राष्ट्रपति शासन (President's rule in Jammu and Kashmir) 6 महीने बढ़ाए जाने का प्रस्ताव भी पास हो गया. जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने राज्यसभा में यह दोनों बिल पेश किए थे. इस दौरान अमित शाह (Amit Shah) ने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) पर विपक्ष से सवाल किया- कश्मीरी पंडित जो अपने ही देश के अंदर दर-दर की ठोकर खा रहे हैं, उनके धार्मिक स्थानों को तोड़ा गया. क्या वे कश्मीरियत का हिस्सा नहीं थे?
ज्ञात हो कि एक बार फिर 3 जुलाई से जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में राष्ट्रपति शासन (President's rule) लागू हो जाएगा. 2 जुलाई को इसकी समयावधि खत्म हो रही है. जून 2018 से वहां राज्यपाल शासन लगा था.इसके साथ ही 21 नवंबर को राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Jammu and Kashmir Governor Satya Pal Malik) ने विधानसभा भंग कर दी थी. 20 दिसंबर से राष्ट्रपति शासन वहां लागू है. यह भी पढ़े-जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का प्रस्ताव राज्यसभा में अमित शाह ने किया पेश, एसपी ने किया समर्थन
Rajya Sabha approves statutory resolution to extend President's rule in J&K for a further period of 6 months with effect from 3rd July 2019; Also passes J&K Reservation (Amendment) Bill, 2019. pic.twitter.com/SkbbXnf1UV
— ANI (@ANI) July 1, 2019
इससे पहले कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद (Congress Leader Ghulam Nabi Azad) ने चुनाव कराने को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए थे, जिस पर अमित शाह ने तीखा जवाब दिया. उन्होंने राष्ट्रपति शासन (President's rule) लगाने के आंकड़े सामने रखते हुए कहा कि सबसे ज्यादा बार आर्टिकल 356 का प्रयोग कांग्रेस की सरकारों ने किया है. यह भी पढ़े-गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में पेश किया जम्मू कश्मीर आरक्षण बिल, बॉर्डर के 435 गांवों को होगा फायदा
Amit Shah: Ghulam Nabi Azad ji & Manoj Jha(RJD) ji said we(Govt)want to spread misinformation against Nehruji among Indian public.This is wrong. This is not our intention and never will be.But, the nations which dont learn from their mistakes in history don't have bright future. pic.twitter.com/DwENWchZaC
— ANI (@ANI) July 1, 2019
अमित शाह (Amit Shah) ने कहा- अगर आप कश्मीरी पंडितों की बात करते तो मानता कि आपको कश्मीरियत की चिंता है. कश्मीरी पंडितों ने कश्मीरियत को जिंदा रखा, उन्हें भगा दिया गया. सरकार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. अटलजी (Atalji) ने कहा था कश्मीर समस्या का समाधान जम्हूरियत-कश्मीरियत-इंसानियत है. मोदी सरकार (Modi Govt) भी इसी रास्ते पर है. जब मैं जम्हूरियत कहता हूं तो विधानसभा के 87 सदस्यों तक इसे सीमित ना रखें.
Modi govt committed to bringing Kashmiri Pandits back to valley: Amit Shah
Read @ANI story | https://t.co/TiD5IdaKsX pic.twitter.com/bynnEpaiqm
— ANI Digital (@ani_digital) July 1, 2019
गौरतलब है कि पिछले दिनों केंद्रीय राज्य गृहमंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा (Lok Sabha) में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक (Jammu and Kashmir Reservation (Amendment) Bill) पेश किया था. इसके जरिए आरक्षण अधिनियम 2004 में संशोधन किया जाएगा. बिल पास होने से अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) के पास रहने वाले लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.