राजस्थान कांग्रेस में दो फाड़: CM पद को लेकर पायलट-गहलोत विवाद से कार्यकर्ता कंफ्यूज

जयपुर: राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस पार्टी में वहां सत्ता वापसी को लेकर उम्मीद जाग गई है. वैसे सूबे में कांग्रेस पार्टी के भीतर ही गुटबाजी भी तेज हो गई हैं. चुनाव जीतने से पहले ही मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर खींचतान शुरू है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट के समर्थक अपने नेता को इस साल के अंत में मुख्यमंत्री बनता देखना चाहते हैं. इसी के चलते कांग्रेस मे मुख्यमंत्री पद को लेकर बयानबाजी की जा रही है. राजस्थान के सियासी गलियारे में यह चर्चा का विषय बना हुआ है. हर कोई कांग्रेस के भीतर गुटबाजी की बात कर रहा हैं.

बता दें कि सूबे में वसुंधरा सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर देखी जा रही हैं. कांग्रेस के लिए सरकार बनाने के लिए सबसे सही समय हैं. मगर जीत के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा इसको लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी असमंजस की स्थिति हैं.

गहलोत का बयान:

कांग्रेस पार्टी के महासचिव अशोक गहलोत ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री बनाने का दावा किया था. उन्होंने कहा था कि 10 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद अब कौन से नए चेहरे की जरूरत है. हालांकि इसके बाद उन्होंने यू-टर्न ले लिया था. यह बात सचिन पायलट को पसंद नहीं आई और ऑस्ट्रेलिया से लौटने के फ़ौरन बाद उन्होंने कहा कि पार्टी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी.

कार्यकर्ताओं का डर:

कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी कोई नई बात नहीं हैं मगर सत्ता के सपने देख रहें कार्यकताओं को लगता हैं कि दो नेताओं के लडाई में कही पार्टी फिर एक बार सत्ता से दूर ना हो जाए. राजस्थान कांग्रेस का कार्यकर्ता पूरी तरह से कंफ्यूज है.

गहलोत का बड़ा कद:

2013 में राजस्थान चुनावों में मिली हार के बाद एक तरह से अशोक गहलोत परदे के पीछे चले गए थे. गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन और कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी को रोकने की वजह से उन्हें पार्टी ने राष्ट्रीय संगठन महासचिव बनाया. मौजूदा समय में उन्हें कांग्रेस पार्टी का चाणक्य कहा जाता है और वह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के काफी करीब हैं. मगर, गहलोत खुद दोबारा राजस्थान की राजनीती में लौटना चाहते हैं.

फिलहाल कांग्रेस यह कह कर बात को टाल रही है कि पार्टी में चुनाव पूर्व सीएम का चेहरा घोषित करने की परंपरा नहीं है. बहरहाल, अगर कांग्रेस को सूबे में जीतना है तो उन्हें पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी को ख़त्म कर वोटरों का विश्वास हासिल करना होगा.