देशभर में राजनीतिक पार्टियां और नेता CAA, NRC और NPR को लेकर अलग-अलग बयान दे रहे हैं. इस कड़ी में अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने NRC और NPR पर अपने रुख को साफ किया. उन्होंने कहा, राज्य में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) लागू नहीं होने जा रहा है और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) भी उसी तरह अपडेट होगा जैसा साल 2010 में हुआ था. हालांकि इस दौरान उन्होंने संशोधित नागरिकता कानून को लेकर चुप्पी साधे रखी. इससे पहले भी नीतीश कुमार ने एनआरसी पर अपना रुख साफ किया था उन्होंने कहा था, एनआरसी का सवाल ही पैदा नहीं होता है. यह तो केवल असम को लेकर चर्चा में था, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसे स्पष्ट कर चुके हैं.
दरभंगा के मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी कैंपस में लोगों ने जब मुख्यमंत्री से CAA, NRC और NPR पर बोलने को कहा तब उन्होंने ये बातें कहीं. उन्होंने इस दौरान CAA को लेकर कुछ नहीं कहा, सीएम ने मौलाना अबुल कलाम आजाद की तुलना महात्मा गांधी से की. उन्होंने कहा कि जिस तरह से बापू को लोग याद रखते हैं उन्हें मौलाना आजाद को भी याद रखना होगा क्योंकि ये भी देश के बंटवारे के खिलाफ थे. सीएए और एनपीआर के मुद्दे पर बहस की मांग पर नीतीश ने कहा था कि "अगर सभी लोग चाहते हैं तो बिहार विधानसभा में हम विशेष रूप से चर्चा करेंगे. हम किसी भी विषय पर चर्चा को तैयार हैं."
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यहां देखें वीडियो-
आपने बिहार में अल्पसंख्यक समाज के साथ कोई भेदभाव नहीं होने देंगे यह कहते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को दरभंगा में फिर दोहराया कि NPR 2010 के आधार पर ही होना चाहिए। pic.twitter.com/4ID2OOaQeU
— manish (@manishndtv) February 23, 2020
माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय को आकर्षित करने के प्रयास के तहत नीतीश कुमार ने यह ऐलान किया है. बता दें कि इससे पहले नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने लोकसभा और राज्यसभा में समर्थन किया था. इस पर हालांकि पार्टी में आंतरिक कलह शुरू हो गई थी. एनआरसी और एनपीआर का खुलेआम विरोध कर रहे जेडीयू के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को पार्टी से निकाल दिया गया था.