हिंदी को लेकर इसलिए मचा घमासान, मोदी सरकार के खिलाफ अब तक कई विपक्षी दलों ने खोला मोर्चा
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नई दिल्ली: हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने देश के लिए एक भाषा की पैरवी करते हुए कहा था कि सबसे ज्यादा बोली जाने वाली यह भाषा समूचे देश को एक बंधन में बांध सकती है. शाह के इसी बयान से देश की सियासत में हलचल पैदा हो गई. जिसके बाद विपक्ष के कई नेताओं ने मोदी सरकार पर मनमाने तरीके से हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए जमकर निशाना साधा. इसमें कोई दो राय नहीं कि इसे सहारा बनाकर कई दल राजनीतिक रोटियां सेंकने में जुटे हुए है. हालांकि विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया का जवाब देते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी ने लोगों से अपील की कि इसे भाषा को थोपने के नजरिये से नहीं देखे.

हिन्दी भाषा को लागू करने के विरोध में डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने 20 सितंबर को पूरे तमिलनाडु में प्रदर्शन का ऐलान किया है. इससे पहले उन्होंने कहा था की यह निश्चित रूप से राष्ट्रीय अखंडता का उल्लंघन होगा. इस मसले पर सरकार के खिलाफ विरोध को आगे ले जाने के लिए सभी विपक्षी दलों को एकजुट होना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया केंद्र में सत्ता संभालने के बाद से ही भाजपा सरकार इस तरह पहचान को 'मिटाने' वाले कदम उठा रही है.

मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एमडीएमके) प्रमुख वाइको ने कहा कि अगर भारत को अकेले हिंदी का देश बनना है, तो केवल हिंदी भाषी राज्य इसका हिस्सा होंगे, न कि तमिलनाडु और पूर्वोत्तर जैसे कई अन्य क्षेत्र.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ट्वीट कर कहा भारत में अनेक भाषाएं होना उसकी कमजोरी नहीं है.

वहीं वामपंथी पार्टी ने बयान जारी कर कहा, ‘‘अमित शाह का हिंदी दिवस पर यह बयान कि अगर कोई एक भाषा पूरे देश की एकता सुनिश्चित कर सकती है वह हिंदी है, यह विविधता की संकल्पना पर हमला है. आज जरूरत है कि देश की विविधता का सम्मान करें, इसकी रक्षा करें और इसे आगे बढ़ाएं ताकि एकता सुनिश्चित हो सके.’’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को कहा कि लोगों को सभी भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान करना चाहिए लेकिन अपनी मातृभाषा की कीमत पर नहीं.

गृहमंत्री शाह ने हिंदी में किये गए कई ट्वीट में कहा, ‘‘भारत में कई भाषाएं हैं और प्रत्येक भाषा का अपना महत्व है. यद्यपि यह अत्यंत आवश्यक है कि पूरे देश के लिए एक भाषा होनी चाहिए जो अंतरराष्ट्रीय तौर पर भारत की पहचान बने.’’

उन्होंने ट्वीट किया,‘‘मैं लोगों से अपील करना चाहता हूं कि वे अपनी देशी भाषा को प्रोत्साहित करें लेकिन बापू (महात्मा गांधी) और सरदार (वल्लभभाई) पटेल की एक भाषा का सपना साकार करने के लिए हिंदी का भी इस्तेमाल करें.’’ इसके बाद एक कार्यक्रम में बोलते हुए शाह ने कहा कि हिंदी देश के प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक घर तक पहुंचनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने.

(एजेंसी इनपुट के साथ)