नई दिल्ली:- शिवसेना (Shiv Sena) ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से नागरिकता (संशोधन) विधेयक, यानी सिटिज़नशिप (अमेंडमेंट) बिल (Citizenship (Amendment) Bill) पर सवाल किया है. शिवसेना ने विकल्प देते हुए कहा कि सरकार जिन अप्रवासी नागरिकों को नागरिकता दी जाती है तो उन्हें 25 साल बाद वोट देना चाहिए. शिवसेना वोट बैंक की पॉलिटिक्स के लिए पास किया जा रहा है? भारत के अलावा हिन्दुओं के लिए कोई अन्य देश नहीं है यह पता है लेकिन अगर नागरिकता (संशोधन) विधेयक को सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के हिसाब से लाया जा रहा है यह ठीक नहीं होगा. सामना में लिखा कि क्या भारत में समस्याओं की कमी है जो एक्स्ट्रा बोझ छाती पर लिया जा रहा है. सूबे की सरकार ने हिंदू और मुसलमान ने विभाजन का काम सरकार ने किया है.
बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) पेश करने वाले हैं. यह विधेयक लोकसभा के दैनिक कामकाज के तहत सूचीबद्ध है. राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस विधेयक को लेकर विपक्ष की ओर से विरोध के स्वर उठ रहे हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले बुधवार को इस विधेयक को मंजूरी दी थी.
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पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश में उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्मावलंबियों को नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के तहत भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी. इस विधेयक का विपक्ष ने पहले ही विरोध किया है. कांग्रेस ने इसे असंवैधानिक करार दिया है. विधेयक में मुस्लिम को छोड़ देने को लेकर अल्पसंख्यक गुटों ने भी इसका विरोध किया है.
इस बिल के लोकसभा में पास होने के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जायेगा.यह विधेयक लोकसभा (Lok Sabha) में पारित हो जायेगा क्योंकि निचले सदन में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा बहुमत है. इसके साथ ही राज्यसभा (Rajya Sabha) में भी उसे इस बिल को पास करने में कोई ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी.