केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) सोमवार को लोकसभा (Lok Sabha) में नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) पेश करेंगे जिसके तहत पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश और अफगानिस्तान (Afghanistan) में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. लोकसभा में सोमवार को होने वाले कार्यों की सूची के मुताबिक, अमित शाह दोपहर में बिल पेश करेंगे जिसमें छह दशक पुराने नागरिकता कानून में संशोधन की बात है और इसके बाद इस पर चर्चा होगी और इसे पारित कराया जाएगा. अमित शाह द्वारा लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश करने को देखते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपने सभी लोकसभा सदस्यों को व्हिप (Whip) जारी किया कि नौ दिसंबर से तीन दिनों तक सदन में मौजूद रहें.
नागरिकता संशोधन बिल, 2019 के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी. यह बिल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी का चुनावी वादा था. यह भी पढ़ें- नागरिकता संशोधन बिल पर गोरखपुर के BJP सांसद रवि किशन बोले- 100 करोड़ हिंदुओं का देश है भारत.
कांग्रेस करेगी पुरजोर विरोध
उधर, कांग्रेस संसद में नागरिकता संशोधन बिल का पुरजोर विरोध करेगी क्योंकि यह विधेयक देश के संविधान और पार्टी के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है. लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के 10 जनपथ आवास पर कांग्रेस संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक के बाद यह बयान दिया. चौधरी के अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में मुख्य सचेतक कोडिकुन्नील सुरेश और सचेतक गौरव गोगोई सहित अन्य ने बैठक में हिस्सा लिया.
Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury: We will oppose the #CitizenshipAmendmentBill tooth and nail because it is in violation of our Constitution, secular ethos, tradition, culture and civilization. pic.twitter.com/r7NIM5xhRg
— ANI (@ANI) December 8, 2019
पूर्वोत्तर राज्यों में हो रहे व्यापक प्रदर्शन
नागरिकता संशोधन बिल के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं और काफी संख्या में लोग व संगठन विधेयक का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे असम समझौता 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे जिसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है. प्रभावशाली पूर्वोत्तर छात्र संगठन (नेसो) ने क्षेत्र में दस दिसंबर को 11 घंटे के बंद का आह्वान किया है.
वाम दल संशोधन का प्रस्ताव रखेंगे
नागरिकता संशोधन बिल के विरोधी वामपंथी दल इसमें संशोधन के दो प्रस्ताव ला सकते हैं. वामदलों के संशोधन प्रस्तावों में एक में विधेयक से पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान व धर्म का संदर्भ हटाने व एक अन्य में विधेयक के दायरे में सभी पड़ोसी देशों के शरणार्थियों को लाने की बात शामिल हो सकती है.