
भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में कुछ तारीखें सिर्फ कैलेंडर पर निशान नहीं होतीं, वे समय की धारा मोड़ने वाले मोड़ बन जाती हैं. 6 अप्रैल ऐसी ही एक तारीख है – भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का स्थापना दिवस. आज जब भाजपा देश की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत बन चुकी है, तो आइए जानते हैं कि कैसे यह पार्टी 2 सीटों से शुरू होकर 300 से ज्यादा सीटों तक पहुंची और भारत की सियासत की धुरी बन गई.
जनसंघ से शुरू हुआ सफर: 1951 में बोया गया बीज
बीजेपी की जड़ें 1951 में स्थापित भारतीय जनसंघ से जुड़ी हैं. इसकी स्थापना डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी. जनसंघ का उद्देश्य था – भारत को एक सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की विचारधारा पर खड़ा करना.
जनसंघ का नारा था – "एक देश, एक संविधान", जो जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के विरोध से भी जुड़ा हुआ था.
डॉ. मुखर्जी की रहस्यमयी मृत्यु (1953) के बाद पार्टी धीरे-धीरे बढ़ती रही, लेकिन कांग्रेस के वर्चस्व के बीच इसका दायरा सीमित ही रहा.
1977: जनता पार्टी में विलय और उथल-पुथल का दौर
1975 में जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, तो देशभर में विरोध हुआ. आपातकाल के बाद 1977 में जनसंघ, कांग्रेस (O), लोकदल, समाजवादी पार्टी समेत कई दलों ने मिलकर जनता पार्टी बनाई और पहली बार कांग्रेस को हराया. मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने. मगर यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं टिक पाया. एक बड़ा विवाद था – डुअल मेंबरशिप (जनसंघ के सदस्य RSS से जुड़े रहते थे). इसके चलते जनता पार्टी में दरार पड़ी और जनसंघ से निकले नेताओं ने नया राजनीतिक संगठन बनाने का फैसला लिया.
6 अप्रैल 1980: भारतीय जनता पार्टी का जन्म
- 6 अप्रैल 1980 को दिल्ली में फिरोजशाह कोटला मैदान पर एक ऐतिहासिक घोषणा हुई – भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गठन हुआ.
- अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, भैरो सिंह शेखावत और के.एन. साही जैसे नेता इस नई पार्टी के कर्णधार बने.
- पार्टी का प्रतीक बना – कमल का फूल, जो कीचड़ में खिलता है, ठीक वैसे ही जैसे बीजेपी ने विपरीत परिस्थितियों में खुद को गढ़ा.
1984 की हार: सिर्फ 2 सीटें और ‘अटल’ धैर्य
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की लहर थी. बीजेपी को पूरे देश में सिर्फ 2 सीटें मिलीं.
तब अटल जी ने संसद में कहा था – "अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा."
और सचमुच, ये भविष्यवाणी सच साबित हुई.
राम मंदिर आंदोलन और जनसमर्थन की सुनामी
- 1989 से लेकर 1992 तक राम जन्मभूमि आंदोलन ने बीजेपी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया.
- लालकृष्ण आडवाणी की राम रथ यात्रा ने उत्तर भारत में पार्टी की पैठ गहरी कर दी.
1991 में पार्टी ने 120+ सीटें जीतीं.
- हालांकि, 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद बीजेपी पर कई प्रतिबंध लगे और उसका विरोध भी बढ़ा, पर जनाधार कम नहीं हुआ.
अटल युग: सरकारें आईं, गिरीं, और फिर टिकीं
- 1996: बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी, पर सरकार सिर्फ 13 दिन चली.
- 1998: वाजपेयी फिर से प्रधानमंत्री बने, लेकिन सरकार 13 महीने में गिर गई.
- 1999: वाजपेयी जी ने NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) बनाकर पूर्ण 5 साल की सरकार चलाई.
- यही वह दौर था जब भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया और कारगिल युद्ध में जीत दर्ज की.
2004 की हार और आत्ममंथन का दौर
2004 में "India Shining" कैंपेन के बावजूद बीजेपी हार गई. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस दो बार सत्ता में आई. यह बीजेपी के लिए आत्ममंथन का समय था. पार्टी ने संगठन को मजबूत किया, युवा नेताओं को बढ़ावा दिया, और जनता से जुड़ने की रणनीति पर काम किया.
मोदी युग की शुरुआत: 2014 का सत्ता विस्फोट
2013 में बीजेपी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया.
2014 के चुनाव में ‘अबकी बार मोदी सरकार’ नारा देशभर में छा गया.
बीजेपी को अकेले 282 सीटें मिलीं – पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी दल को पूर्ण बहुमत.
आगे बढ़ता चला जा रहा विजयरथ
- 2019 में बीजेपी ने एक बार फिर इतिहास रचते हुए 303 सीटें जीतीं.
- कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना, तीन तलाक कानून, राम मंदिर निर्माण जैसे फैसलों ने पार्टी की विचारधारा को और मज़बूती दी.
- 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 240 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी, NDA ने कुल 292 सीटें हासिल कीं, जिससे उन्होंने सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत प्राप्त किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई और मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर इतिहास रचने में सफल रहे.
भाजपा की ताकत: संगठन, विचारधारा और सेवा कार्य
- बीजेपी के पास सबसे मजबूत संगठनात्मक ढांचा है – बूथ स्तर तक कार्यकर्ता जुड़े हैं.
- सेवा ही संगठन – कोरोना काल में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बड़े स्तर पर राशन, दवा, ऑक्सीजन की व्यवस्था की.
- पार्टी के पास मोदी, शाह, योगी, नड्डा, जैसे कद्दावर नेता हैं.
- विचारधारा में राष्ट्रवाद, स्वदेशी, सांस्कृतिक पुनर्जागरण जैसे तत्व शामिल हैं.
स्थापना दिवस क्यों है खास?
6 अप्रैल को देशभर में बीजेपी कार्यकर्ता झंडा रोहण, प्रभात फेरी, पद यात्रा, सेवा अभियान आदि के जरिए स्थापना दिवस मनाते हैं. प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हैं, पार्टी के मूल्यों की याद दिलाते हैं और आगे की रणनीति साझा करते हैं.