
बिहार (Bihar) में विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं लेकिन एनडीए (NDA) में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर 'फाइट' शुरू हो गई है. हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधान परिषद सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान (Sanjay Paswan) ने यह कहकर बिहार की सियासत में हलचल पैदा कर दी थी कि तीन कार्यकाल तक हम (भगवा दल) नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के लिए खड़े रहे. अब समय आ गया है कि वह बदले में बीजेपी को एक मौका दें. दरअसल, संजय पासवान ने कहा था कि नीतीश कुमार लंबे समय तक बिहार की सेवा कर चुके हैं. वह अब केंद्र जा सकते हैं और बिहार की राजनीति को जेडीयू (JDU) की दूसरी पंक्ति के नेताओं के लिए छोड़ सकते हैं. हालांकि उन्होंने कहा था कि यह मेरी निजी राय है.
संजय पासवान के इस बयान के बाद बिहार एनडीए में उठे सियासी बवंडर को शांत करने के लिए उप-मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) नीतीश कुमार के समर्थन में सामने आए. सुशील मोदी ने ट्वीट कर लिखा था, 'नीतीश कुमार बिहार में एनडीए के कप्तान हैं और 2020 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में भी वही कप्तान बने रहेंगे. ऐसे भी जब कप्तान हर मैच में चौका और छक्का जड़ रहा हो और विरोधियों की पारी से हार हो रही हो तो किसी भी तरह के बदलाव का सवाल ही कहां उठता है?' यह भी पढ़ें- बिहार: मुख्यमंत्री को लेकर बीजेपी में चल रहे बवाल पर तेजस्वी यादव ने ली चुटकी, अमित शाह से पूछा- क्या आपकी पार्टी में टैलेंट का अकाल है?
हालांकि, बिहार बीजेपी के कई नेता सुशील मोदी के इस बयान का समर्थन नहीं करते. नीतीश कुमार को कप्तान बताए जाने को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉ. सीपी ठाकुर ने कहा था कि सुशील मोदी को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था. अभी बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तय नहीं किया है. बीजेपी की बैठक में इस पर फैसला होगा. वहीं, केंद्रीय मंत्री और बिहार के बेगूसराय से सांसद गिरिराज सिंह ने भी सीपी ठाकुर के इस बयान का समर्थन किया था.
वहीं, बीजेपी नेता प्रेम कुमार ने भी कहा कि नीतीश कुमार को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. दरअसल, बिहार में अगले साल होने वाले चुनाव के लिए नीतीश कुमार को सीएम फेस बनाए जाने को लेकर बिहार बीजेपी में दो-फाड़ की स्थिति है. अभी हाल ही में एनआरसी को लेकर भी बीजेपी-जेडीयू के बीच विवाद उभर कर सामने आया था. एक तरफ कई बीजेपी नेताओं का कहना था कि बिहार में भी एनआरसी लागू कराया जाए तो वहीं, जेडीयू ने साफ तौर पर इससे इनकार कर दिया. यह भी पढे़ं- केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा- नीतीश कुमार बिहार में NDA का चेहरा हैं और आगे भी रहेंगे.
इससे पहले तीन तलाक और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मुद्दे पर भी बीजेपी-जेडीयू आमने-सामने आ गए थे. केंद्र में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा जीत कर आई तो जेडीयू ने सांकेतिक प्रतिनिधित्व का प्रस्ताव ठुकराते हुए मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था. एक तरह से देखें तो बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन में रह-रहकर कई दरारें उभर कर सामने आ रही हैं. हालांकि अगले साल विधानसभा चुनाव तक गठबंधन रहेगा या नहीं इस पर कुछ कहना तो अभी मुश्किल है. लेकिन विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे के मुद्दे पर बीजेपी इस बार जेडीयू को बड़ा भाई नहीं मानने जा रही.
दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़े थे. बीजेपी को सभी 17 सीटों पर जीत मिली तो वहीं जेडीयू के खाते में 16 सीटें गईं. बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं. अगर दोनों पार्टियां सीएम उम्मीदवार घोषित किए बिना गठबंधन में एक साथ चुनाव लड़ती हैं और बीजेपी के खाते में ज्यादा सीटें आती हैं तो ऐसी परिस्थिति में नीतीश कुमार का फिर से मुख्यमंत्री बनना मुश्किल होगा क्योंकि बीजेपी अपने किसी चेहरे का नाम आगे कर सकती है.