पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से चंद हफ्ते पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने नाता तोड़ लिया है. हालांकि बिहार में अपनी राह अलग कर चुकी एलजेपी अभी भी बीजेपी को ही समर्थन करने की बात कर रही है. केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान द्वारा बनाई गयी एलजेपी एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की तारीफ में कसीदे गढ़ रही है, वहीं जेडीयू अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर आलोचना कर रही है. जिस वहज से जेडीयू की टेंशन बढ़ती नजर आ रही है. शरद यादव बिहार में विपक्षी गठबंधन को सत्ता में लाने के लिये काम करेंगे:लोकतांत्रिक जनता दल
बीजेपी ने पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, जबकि एलजेपी को नीतीश का नेतृत्व स्वीकार नहीं है. एलजेपी के इस निर्णय से साफ है कि वह न केवल नीतीश की नाराजगी वाले वोट बैंक को साधने की रणनीति बना रही है, बल्कि बीजेपी के साथ रहकर उसका फायदा भी उठाने की कोशिश में है.
इसके उलट, बीजेपी भी अब तक एलजेपी के खिलाफ खुलकर नहीं बोल रही है और ना ही एलजेपी ने बीजेपी के खिलाफ अब तक कुछ कहा है. एलजेपी ने यह भी ऐलान कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने पर जीत हासिल करने वाले उसके विधायक बीजेपी के ही साथ मिलकर प्रदेश में सरकार बनाएंगे. Bihar Assembly Election 2020: सीएम के तौर पर नीतीश कुमार 30.9 प्रतिशत लोगों की पसंद: सर्वे
अब तक एलजेपी ने यह नहीं बताया है कि वह कितनी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. लेकिन इससे पहले पार्टी की ओर से कई बार कहा गया है कि प्रदेश की 143 विधानसभा सीटों पर तैयारी मुक्कमल है, जहां एलजेपी अपने उम्मीदवार उतार सकती है. शुरुआत में एलजेपी एनडीए गठबंधन में 42 सीटें मांग रही थी. लेकिन अब अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला कर खुद को अलग कर लिया है. एलजेपी ने इसकी वजह जेडीयू से वैचारिक मतभेद को बताया है.
ख़बरों की मानें तो जेडीयू की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष जल्द उठाने वाले है. दरअसल जेडीयू की मांग है कि एलजेपी को एनडीए गठबंधन से बाहर कर दिया जाएं, जबकि बीजेपी फिलहाल इसके पक्ष में नहीं दिख रही है. Bihar Assembly Election 2020: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी-जेडीयू के बीच सीटों को लेकर बन गई है बात, 50-50 फॉर्मूले पर नीतीश कुमार ने भरी हामी?
उल्लेखनीय है कि एलजेपी फरवरी 2005 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में 178 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 29 सीटें जीती थीं जबकि अक्टूबर 2005 में हुए चुनाव में 203 सीटों पर चुनाव लड़ा और मात्र 10 सीटें जीती थी. इसके बाद 2010 के विधानसभा चुनाव में एलजेपी 75 सीटों पर चुनाव लड़ी और मात्र 3 सीट जीतने में सफल हुई थी. पिछले चुनाव में एलजेपी केवल 2 सीटें ही जीत पाई थी. हालाँकि ऐसी कई सीटें थी जहां जीत का अंतर 5,000 से 10,000 के बीच था. यानि इस बार उन सीटों पर मुकाबला त्रिकोणात्मक होने की संभावना है.