PM Kisan FPO Scheme 2020: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ ही किसानों की आय को बढ़ाने के उदेश्य से मोदी सरकार ने कई सराहनीय कदम उठाये है. इनमें से एक पीएम किसान एफपीओ योजना भी है. देश के किसानों को आर्थिक राहत प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा यह योजना शुरू की गई है. इस योजना के तहत, एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) को 15 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी. इस योजना से संबंधित पूरी जानकारी के लिए यहां क्लीक करें.
छोटे और सीमांत किसानों की संख्या लगभग 86 प्रतिशत हैं, जिनके पास देश में 1.1 हेक्टेयर से कम औसत खेती है. इन छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों को कृषि उत्पादन के दौरान भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें प्रौद्योगिकी, बेहतर बीज, उर्वरक, कीटनाशक और समुचित वित्त की समस्याएं शामिल हैं. इन किसानों को अपनी आर्थिक कमजोरी के कारण अपने उत्पादों के विपणन की चुनौती का भी सामना करना पड़ता है. कृषि विधेयकों के समर्थन में चौहान ने कहा 'किसानों के भगवान हैं प्रधानमंत्री'
एफपीओ से छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों के सामूहीकरण में सहायता होगी, ताकि इन मुद्दों से निपटने में किसानों की सामूहिक शक्ति बढ़ सकें. एफपीओ के सदस्य संगठन के तहत अपनी गतिविधियों का प्रबंधन कर सकेंगे, ताकि प्रौद्योगिकी, निवेश, वित्त और बाजार तक बेहतर पहुंच हो सके और उनकी आजीविका तेजी से बढ़ सके.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 फरवरी 2020 को चित्रकूट में देशभर में 10,000 किसान उत्पादक संगठनों को लॉन्च किया. केंद्रीय बजट 2019-20 में की गई घोषणा के मुताबिक इस योजना के तहत, वर्ष 2020-21 में कुल 2000 एफपीओ के गठन का प्रस्ताव किया गया. कोई राज्यवार लक्ष्य तय नहीं किया गया है क्योंकि उचित उत्पादन समूहों के आधार पर एफपीओ का गठन किया जाएगा. मैदानी क्षेत्रों के मामले में प्रति एफपीओ न्यूनतम 300 सदस्य होंगे, जबकि पूर्वोत्तर और पहाड़ी क्षेत्र में 100 सदस्य होगें.
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया कि देश के 60 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत हैं, जो इन एफपीओ के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएंगे. इससे न सिर्फ कृषि की प्रगति में सहायता मिलेगी, बल्कि देश में विकास के नए द्वार भी खुलेंगे.
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक छोटे, सीमांत व भूमिहीन किसानों के लिए गठित होने वाले एफपीओ के माध्यम से विभिन्न चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकेगा, साथ ही वे ज्यादा सशक्त होंगे. एफपीओ गतिविधियों का इस तरह प्रबंधन किया जाएगा, जिससे सदस्यों को तकनीक जानकारियां, वित्त व उपज के लिए अच्छा बाजार व बेहतर कीमत मिल सके.
सरकार का कहना है कि एफपीओ से उत्पादन लागत और विपणन लागत कम करने में मदद मिलेगी, साथ ही यह योजना कृषि व बागवानी क्षेत्र में उत्पादकता में सुधार लाने में भी सहायक होगी. देश में प्रसंस्करण क्षेत्र में भी सुधार होगा. यह किसानों की आय में काफी सुधार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार होगा व रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.
नाबार्ड, एसएफएसी और एनसीडीसी जैसी एजेंसियों के माध्यम से योजना का कार्यान्वित किया जाएगा. आर्थिक स्थायित्व के लिए समान इक्विटी के आधार पर 15 लाख रुपये तक के पूंजी अनुदान की सुविधा मिलेगी. नाबार्ड व एनसीडीसी के साथ क्रेडिट गारंटी फंड बनाया जाएगा, जिसमें 2 करोड़ रुपये प्रति एफपीओ तक उपयुक्त क्रेडिट गारंटी उपलब्ध कराई जाएगी. हितधारकों के लिए क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, कौशल विकास के महत्व को समझते हुए विशेष राष्ट्रीय व क्षेत्रीय संस्थानों के माध्यम से संगठनात्मक प्रबंधन, संसाधन नियोजन, विपणन, प्रसंस्करण क्षेत्रों में प्रशिक्षण उपलब्ध कराने का प्रावधान किया है, ताकि एफपीओ के संगठन व व्यवसाय का अच्छी तरह से प्रबंधन किया जा सके.
पीएम किसान एफपीओ योजना का फायदा लेने के लिए करीब 11 किसानों को अपना एक संगठन बनाना पड़ता है. यह 11 किसानों का संगठन मैदानी इलाके में कम से कम 300 किसानों और पहाड़ी क्षेत्र में 100 किसानों को जोड़ना होगा. इस योजना पर 2024 तक 6,865 करोड़ रुपए खर्च करेगी. इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि सरकार ने अभी तक रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू नहीं की है.