Technology Day 2025 पर भारत को याद आया Pokhran 2 न्यूक्लियर टेस्ट, देश आज मना रहा है टेक्नोलॉजी डे और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस

आज जब हम राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2025 (National Technology Day 2025) मना रहे हैं, तो यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि भारत की वैज्ञानिक क्षमता, आत्मनिर्भरता और साहस की गौरवगाथा का प्रतीक है. 11 मई 1998 – वही ऐतिहासिक दिन जब राजस्थान के रेगिस्तान में स्थित पोखरण (Pokhran 2 Nuclear Test) की तपती रेत पर भारत ने दुनिया को चौंका देने वाला काम कर दिखाया.

 

रेत में हुआ ‘शक्ति’ का धमाका, भारत ने दुनिया को दिखाई ताकत

11 मई 1998 को दोपहर का समय था. पोखरण में अचानक धरती हिल उठी, लेकिन यह कोई भूकंप नहीं था. यह भारत का 'शक्ति' नामक परमाणु परीक्षण था, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिकों के नेतृत्व में सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया. इस परीक्षण ने भारत को दुनिया की छठी परमाणु शक्ति बना दिया और पूरे विश्व ने भारत की तकनीकी ताक़त को सलाम किया.

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस क्यों मनाया जाता है?

भारत सरकार ने इस ऐतिहासिक दिन को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. इसका उद्देश्य भारत के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों के योगदान को सम्मान देना है, जिन्होंने सीमित संसाधनों में भी देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.

2025 की थीम: 'नवाचार से नवभारत तक'

इस वर्ष की थीम है – “YANTRA – Yugantar for Advancing New Technology, Research & Acceleration” यानि “यंत्र – नई तकनीक, अनुसंधान और तीव्र विकास के लिए युगांतर”. यह थीम भारत की वैज्ञानिक सोच, नवाचार की स्पीड और शोध में क्रांति लाने के संकल्प को दर्शाती है.

देशभर में वैज्ञानिक संस्थानों, स्कूलों, कॉलेजों और स्टार्टअप्स द्वारा टेक्नोलॉजी प्रदर्शनी, संगोष्ठियाँ और प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं.

पोखरण से स्टार्टअप इंडिया तक – एक लंबी यात्रा

आज भारत सिर्फ परमाणु शक्ति ही नहीं, बल्कि डिजिटल इंडिया, चंद्रयान, मंगलयान, 5G नेटवर्क, AI और क्वांटम कंप्यूटिंग में भी अग्रणी बन चुका है. जहां 1998 में पोखरण का परीक्षण गोपनीयता के साथ हुआ था, वहीं आज देश खुलकर तकनीक के क्षेत्र में इनोवेशन को प्रोत्साहित कर रहा है.

टेक्नोलॉजी ही है भविष्य की कुंजी

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जब विज्ञान और संकल्प एक साथ मिलते हैं, तब असंभव भी संभव हो जाता है. आइए, इस दिन हम सब मिलकर प्रण लें कि तकनीकी विकास को जनकल्याण से जोड़ेंगे और भारत को वैश्विक तकनीकी महाशक्ति बनाएंगे.