साल 2019 में मानसून किसानों के लिए एक बहुत अच्छी खबर लेकर आ रहा है. मानसून की मेहरबानी के कारण इस साल सूखा पड़ने की उम्मीदें बिलकुल कम है. मौसम का अनुमान लगाने वाली निजी संस्था स्काईमेट (Skymet) ने सोमवार को बताया कि इस साल देश में मानसून के सामान्य रहने की 50 फीसद से अधिक संभावना है. जून-जुलाई-अगस्त- सितंबर के दौरान अच्छी बारिश होगी. पिछले साल की बात करें तो मानसून सामान्य से कुछ कमजोर रहा था, जबकि साल 2018 के पहले लगातार 2 साल सामान्य मानसून रहा था.
रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले साल 2018 में जुलाई-सितंबर के महीने तक मानसून के आखिर में बारिश औसतन 91 फीसदी रही, जो मौसम विभाग के 97 फीसदी के अनुमान के मुकाबले कम है. ऐसा लगातार पांचवें साल हुआ है, जब मौसम विभाग ने अधिक बारिश को लेकर को लेकर अनुमान जताया. भारत में हर साल होने वाली बारिश का 70 फीसदी मानसून के दौरान देखने को मिलती है. मानसून की बारिश में कमी का बड़े पैमाने पर खेती पर असर पड़ता दिखाई दिया है. यह भी पढ़ें- भारत से दुश्मनी का असर: टमाटर के बाद अब पान को भी तरसेगा पाकिस्तान, भारतीय किसानों ने बंद की सप्लाई
बता दें कि जून से शुरुआत होने वाले मानसून सीजन के दौरान 50 सालों के औसत 89 cm से अधिक बारिश होने को सामान्य कहा जाता है, जो 96 फीसद से 104 फीसद के बीच होता है. भारत, एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसमें कृषि क्षेत्र की निर्भरता चार महीनों के दौरान होने वाली मानसूनी बारिश पर होती है.
सामान्य मानसून का सीधा असर खेती पर पड़ता है. मानसून सामान्य और अच्छा रहने से खेती बेहतर होती है, जिससे ग्रामीण इलाकों में लोगों की आय बढ़ती है, जिससे मांग में भी तेजी आती है. ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ने से इंडस्ट्री को भी फायदा मिलता है. जिससे देश की इकोनॉमी बढ़ती है.