Delhi-Mumbai Monsoon Rain Update: दिल्ली और मुंबई, दोनों जगह रविवार को मॉनसून के आगमन के साथ इसकी पहली बारिश हुई और इस तरह का दुर्लभ संयोग 62 साल पहले 21 जून 1961 को देखने को मिला था, जब दोनों महानगरों में एकसाथ मॉनसून का आगमन हुआ था. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने यह जानकारी दी.मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली में मॉनसून अपने तय समय से दो दिन पहले पहुंच गया, जबकि मुंबई में यह दो हफ्ते की देरी से पहुंचा.
आईएमडी (IMD) के एक वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डी. एस. पाई ने कहा, ‘‘21 जून 1961 के बाद से यह पहली बार है, जब मॉनसून दिल्ली और मुंबई दोनों जगह एकसाथ पहुंचा है.’’ दिल्ली की सफदरजंग वेधशाला के अनुसार, रविवार सुबह साढ़े आठ बजे तक, बीते 24 घंटे में 48.3 मिलीमीटर (मिमी) बारिश हुई. Mumbai Rain: मुंबई में बारिश के बीच CM एकनाथ शिंदे ने अंधेरी के मिलन सबवे का जायजा लिया
जफरपुर और लोधी रोड में करीब 60-60 मिमी, आयानगर और मुंगेशपुर में करीब 50-50 मिमी और एसपीएस मयूर विहार में 40 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. मौसम विभाग ने हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में मॉनसून के जोर पकड़ने की बात कही है. आईएमडी के अनुसार, सामान्य से चार गुना अधिक बारिश दर्ज किए जाने या व्यापक बारिश को मॉनसून का जोर पकड़ना कहा जाता है.
Something unnatural happening in Delhi . This rain is not normal . #delhirain pic.twitter.com/OeGB7cLVHs
— Sumit (@sumitsaurabh) May 3, 2023
मुंबई में मौसम की जानकारी देने वाली यहां की कोलाबा वेधशाला ने रविवार सुबह साढ़े आठ बजे तक, बीते 24 घंटे में 86 मिमी बारिश दर्ज की, जबकि उपनगरीय क्षेत्रों में मौसम की जानकारी देने वाले सांताक्रुज मौसम केंद्र ने इसी अवधि में 176.1 मिमी बारिश दर्ज की.
आईएमडी के एक बयान के अनुसार, ‘‘दक्षिण-पश्चिम मानसून मुंबई, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा के कुछ हिस्सों, उत्तराखंड के शेष हिस्सों और हिमाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्सों और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कुछ हिस्सों सहित महाराष्ट्र के शेष हिस्सों की ओर आज (25 जून) आगे को बढ़ा.’’ देश के उत्तरी भाग में अब तक वेरावल, बड़ौदा, उदयपुर, नारनौल, अंबाला और कटरा में मॉनसून का आगमन हो चुका है.
IMD ने दोपहर में अद्यतन की गई जानकारी में कहा कि अगले दो दिनों के दौरान गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब के कुछ और हिस्सों और जम्मू-कश्मीर के शेष हिस्सों में मॉनसून के जोर पकड़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं. आम तौर पर केरल में मॉनसून एक जून तक, मुंबई में 11 जून और राष्ट्रीय राजधानी में 27 जून तक पहुंच जाता है. देश में मॉनसून की अब तक की गतिविधि असामान्य है.
#WATCH | IMD issues yellow alert for Mumbai city; rain lashes parts of city.
As per IMD, Southwest Monsoon has advanced over Mumbai and Delhi today, 25th June. pic.twitter.com/u622cJRPnD
— ANI (@ANI) June 25, 2023
मॉनसून लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के बड़े हिस्से समेत उत्तर भारत में अधिकांश जगह तक तय समय या उससे थोड़ा पहले पहुंच गया है, लेकिन मध्य भारत में यह अब भी तय समय से दो सप्ताह पीछे है, जहां अधिकांश किसान खेती के लिए बारिश पर निर्भर हैं.
महाराष्ट्र में मॉनसून के आगमन के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बाढ़ की रोकथाम के लिए ‘मिलान सबवे’ में स्थापित भूमिगत जलाशय के प्रभावकारिता की समीक्षा की और कहा कि प्रणाली काम कर रही है. मिलान सबवे, हिंदमाता और मुंबई के कुछ अन्य स्थानों पर हर साल बारिश के दौरान जल-जमाव का खतरा रहता है.
The Andheri subway in Mumbai was closed after it was waterlogged due to heavy rain. Several vehicles were stuck on the road due to waterlogging. Meanwhile, a woman was saved from being washed away due to heavy current in the floodwater. pic.twitter.com/RWfQN8Spzf
— NDTV (@ndtv) June 24, 2023
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने बाढ़ की रोकथाम के लिए इन क्षेत्रों में भूमिगत जलाशयों का निर्माण किया है. शिंदे ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से मिलान मेट्रो में स्थिति की समीक्षा करने आया था और नयी प्रणाली ने साबित कर दिया है कि यह काम कर रही है. एक घंटे में 70 मिलीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई, फिर भी हमने जो प्रणाली विकसित की है वह काम कर रही है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इतनी अधिक बारिश के बावजूद, मिलान मेट्रो वाहनों की आवाजाही के लिए खुला रहा. इसी तरह की प्रणालियां मुंबई के अन्य क्षेत्रों में भी काम कर रही हैं.’’ मुख्यमंत्री ने बीएमसी अधिकारियों को बारिश के दौरान जल-जमाव से वाहनों की आवाजाही में व्यवधान से बचने के लिए कदम उठाने का भी आदेश दिया. आईएमडी के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी पाई ने बताया कि चक्रवात बिपारजॉय ने दक्षिण भारत और उससे सटे पश्चिम एवं देश के मध्य हिस्सों में मॉनसून को प्रभावित किया है.
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि चक्रवात प्रणाली के तहत अधिकतम नमी सोख ली गई है इसलिए पश्चिमी तट के पास मॉनसून की प्रगति धीमी रही.’’ हालांकि, पूर्वोत्तर एवं पूर्वी भारत में बारिश के लिए जिम्मेदार बंगाल की खाड़ी में मॉनसून 11 जून और 23 जून के बीच मजबूत बना रहा. पाई ने कहा कि मध्य जून में निम्न दबाव क्षेत्र बनने और चक्रवात बिपारजॉय के असर से मॉनसून के पूर्वी भारत की दिशा में बढ़ने में मदद मिली.
पाई ने कहा कि अरब सागर की ओर से आने वाला मॉनसून अब गति पकड़ रहा है और बंगाल की खाड़ी के ऊपर निम्न दबाव का क्षेत्र बन रहा है.
वरिष्ठ मौसम विज्ञानी ने कहा, ‘‘मॉनसून पूरे महाराष्ट्र और गुजरात एवं राजस्थान के कुछ हिस्सों में रविवार को सक्रिय हो सकता है.’’ आईएमडी के आंकड़े के अनुसार, मॉनसून राष्ट्रीय राजधानी में पिछले साल 30 जून को, 2021 में 13 जुलाई, 2020 में 25 जून, 2019 में पांच जुलाई और 2018 में 28 जून को पहुंचा था. यह पिछले साल 11 जून को, 2021 में नौ जून को, 2020 में 14 जून को और 2019 में 25 जून को मुंबई में आया था.
इस साल, मॉनसून केरल में अपने आगमन की सामान्य तारीख एक जून से एक सप्ताह बाद आठ जून को पहुंचा. वहीं, बीते साल 29 मई को, 2021 में तीन जून, 2020 में एक जून, 2019 में आठ जून और 2018 में 29 मई को इस दक्षिणी राज्य में पहुंचा था. बताया जाता है कि केरल में मॉनसून के पहुंचने में देरी से उत्तर पश्चिम भारत में इसके आगमन में देरी नहीं होती है और न ही इसका असर मौसम के दौरान देश में होने वाली कुल वर्षा पर पड़ता है.
आईएमडी ने पहले कहा था कि ‘अल नीनो’ की स्थिति बनने के बावजूद दक्षिण पश्चिम मॉनसून के दौरान सामान्य सामान्य वर्षा होने की उम्मीद है.
दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर में पानी के गर्म होने से ‘अल नीनो’ की स्थिति बनती है, जो आमतौर पर भारत में मॉनसूनी हवाओं के कमजोर होने और शुष्क मौसम से जुड़ा है.
‘सामान्य’ मॉनसून का आईएमडी के अनुमान का यह मतलब नहीं है कि देश के हर हिस्से में मौसम के दौरान अच्छी वर्षा हो. इसका यही मतलब है कि कुल वर्षा सामान्य सीमा के भीतर होगी, हालांकि कुछ स्थानों पर अधिक वर्षा हो सकती है और कुछ स्थानों पर कम वर्षा हो सकती है.
आईएमडी के अनुसार, 96 और 104 प्रतिशत के बीच औसतन 87 सेंटीमीटर वर्षा को ‘सामान्य’ श्रेणी में माना जाता है. 90 प्रतिशत से कम वर्षा को ‘कम वर्षा’, 90 और 95 प्रतिशत के बीच वर्षा को ‘सामान्य से कम’, 105 और 110 प्रतिशत के बीच वर्षा को ‘सामान्य से अधिक’ और 100 प्रतिशत से अधिक वर्षा को ‘अत्यधिक वर्षा’ की श्रेणी में माना जाता है.
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